चीन में उइगर मुस्लिमों के परिवार नियोजन की अमेरिकी विदेश मंत्री ने कड़ी निंदा की!

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अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने चीनी अधिकारियों द्वारा उइगर मुस्लिमों पर अनिवार्य तौर पर परिवार नियोजन कराने के कदम की निंदा की। 

 

ज़ी न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, उन्‍होंने सोमवार को कहा कि शिनजियांग क्षेत्र में अल्पसंख्यकों पर निरंतर दमन यह दर्शाता है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में मानव जीवन और बुनियादी मानवीय गरिमा के लिए कोई सम्मान नहीं है।

 

पोम्पियो ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका उइगर और अन्य अल्पसंख्यक महिलाओं में जबरन जनसंख्या नियंत्रण कराने के कदम की निंदा करता है और सीसीपी से कहता है कि वह दमन के अपने इस अभियान को बंद कर दे।

 

इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्‍होंने चीन के दमनकारी अभियान को लेकर दोहराया था कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) में मानव जीवन और बुनियादी मानवीय गरिमा के लिए कोई सम्मान नहीं है।

 

उन्‍होंने कहा, ‘जर्मन शोधकर्ता एड्रियन ज़ेनज़ के चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन सीसीपी की दशकों से चल रही प्रथाओं के बारे में बताते हैं, जो कि मानव जीवन की पवित्रता और बुनियादी मानवीय गरिमा की उपेक्षा करतेे हैंं।

 

हम सीसीपी से कहते हैं कि इन भयावह प्रथाओं को तुरंत समाप्त करे। हम सभी देशों से भी कहेंगे कि वे इन अमानवीय दुर्व्यवहारों को समाप्त करने की मांग करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका के अभियान में शामिल हों।

 

अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, शिनजियांग के शिविरों में दस लाख से अधिक उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों को कैंप में नजरबंद किया गया है।

 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इन शिविरों में उनके साथ ‘शारीरिक और यौन शोषण, जबरन श्रम, जैसे अत्याचार, क्रूर और अमानवीय व्‍यवहार होते हैं।

 

हालांकि बीजिंग ने इस बात पर जोर दिया है कि ये शिविर धार्मिक अतिवाद और आतंकवाद को रोकने के लिए आवश्यक हैं।

 

लीक हुए सरकारी दस्तावेजों से पता चला है कि ‘बुरका पहनने’ या ‘लंबी दाढ़ी बढ़ाने’ तक पर लोगों को इन शिविरों में भेजा जाता है।

 

 

 

 

 

उइगुर मुसलमानों के साथ चीन का रवैया और उनके लिए चलाए जा रहे “सुधार केंद्र” लंबे समय से चर्चा में रहे हैं। अब सामने आया है कि चीन में उइगुर मुसलमानों को जबरन गर्भनिरोधन पर भी मजबूर किया जा रहा है।

 

समाचार एजेंसी एपी द्वारा की गई छानबीन के अनुसार चीनी सरकार उइगुर मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए कुछ बेहद कठोर कदम उठा रही है।

 

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, एपी ने कुछ सरकारी दस्तावेजों और आकड़ों का आकलन किया और तीस ऐसे लोगों से बात की जो “सुधार केंद्र” में वक्त गुजार चुके हैं। इसके अलावा ऐसे एक केंद्र में काम कर चुके एक ट्रेनर और इन कैंपों में भेजे गए कई लोगों के रिश्तेदारों से भी बात की गई।

 

इस छानबीन के अनुसार पिछले चार सालों में शिनजियांग प्रांत में बहुत व्यवस्थित रूप से अल्पसंख्यकों की आबादी बढ़ने से रोकी जा रही है कु।छ जानकार इसे “जनसांख्यिकी नरसंहार” का नाम भी दे रहे हैं।

 

शिनजियांग में चल रहे इस जन्म नियंत्रण अभियान पर चीनी सरकार ने कोई प्रतिक्रया तो नहीं दी है लेकिन वह पहले यह जरूर कह चुकी है कि मुसलमानों की बढ़ती आबादी गरीबी और चरमपंथ को बढ़ावा देती है।

 

इस रिपोर्ट के अनुसार उइगुर महिलाओं का नियमित रूप से प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता है। उन्हें गर्भनिरोधन के लिए तरह तरह की चीजें इस्तेमाल करने पर मजबूर किया जाता है। इतना ही नहीं, लाखों महिलाओं का जबरन गर्भपात भी कराया जा चुका है।

 

चीन में एक बच्चे की नीति खत्म किए जाने के बाद परिर नियोजन के लिए इस्तेमाल होने वाले आईयूडी जैसे कॉपर टी इत्यादि के इस्तेमाल में भारी गिरावट देखी गई है ले। किन आंकड़े दिखाते हैं कि पिछले कुछ सालों में शिनजियांग में इनका इस्तेमाल और बढ़ गया है।

 

2014 में अकेले शिनजियांग प्रांत में दो लाख आईयूडी इस्तेमाल किए गए थे। 2018 में यह संख्या 3,30,000 पहुंच गई यानी 60 फीसदी की बढ़ोतरी।

 

इसी दौरान चीन के बाकी हिस्सों में इनका इस्तेमाल कम हुआ क्योंकि “एक बच्चा नीति” खत्म होने के बाद महिलाएं इन्हें अपने शरीर से निकलवाने लगीं।

 

इसी दौरान शिनजियांग में नसबंदी के मामलों में भी तेजी से बढ़ोतरी देखी गई। 2016 से 2018 के बीच यहां 60,000 लोगों की नसबंदी की गई।

 

ज्यादा बच्चे होना यूं भी डिटेंशन सेंटर में भेजे जाने की एक वजह माना जाता है।