एशिया की गरीब लड़कीयां सेक्स टूरिज्म का बन रही है शिकार!

   

मर्दों से भरे नाइटक्लबों में बॉलीवुड के गीत, उन पर थिरकतीं भारत, नेपाल और पाकिस्तान की लड़कियां. भारतीय उपमहाद्वीप की गरीब लड़कियां केन्या में सेक्स टूरिज्म का शिकार बन रही हैं.

नेपाल में ब्यूटी पॉर्लर में काम करने वाली शीला को केन्या में एक नौकरी का प्रस्ताव मिला. तनख्वाह सात गुना ज्यादा बताई गई. काम था, केन्या के एक नाइट क्लब में नाचना. नाच को नाम दिया गया कल्चरल डांस.

नेपाल के गांव से आने वाली 23 साल की शीला को डांस का कोई अनुभव नहीं था. नौकरी का प्रस्ताव देने वाले ने कॉन्ट्रैक्ट के पेपर भी नहीं दिखाए. क्लब के मालिक के बारे में कुछ नहीं बताया गया.

बुजुर्ग मां बाप के खर्चे, मेडिकल बिल और मोटरसाइकिल एक्सीडेंट में जख्मी भाई के इलाज के खातिर शीला ने 60,000 केन्याई शिलिंग्स (600 अमेरिकी डॉलर) की नौकरी के लिए हामी भर दी. सैलरी के अलावा मुफ्त रहने, खाने पीने और ट्रांसपोर्ट का वादा भी किया गया था.

शीला आखिरकार पूर्वी केन्या के मोम्बासा शहर में पहुंच गई. काम शुरू होते ही शीला पशोपेश में पड़ गई, “जैसा मैंने सोचा था वैसा बिल्कुल नहीं था.” शीला को मर्दों से भरे नाइटक्लब में रात नौ बजे से सुबह चार बजे तक नाचना पड़ रहा था. उसे बॉलीवुड जैसा लटके झटकेदार डांस करना पड़ रहा था.

शीला के दूसरे ख्वाब भी एक के बाद एक चकनाचूर हो रहे थे, “मुझसे कहा गया था कि हर जगह जाने के लिए मेरे साथ एक ड्राइवर होगा. लेकिन काम के अलावा फ्लैट से निकलने नहीं दिया गया, मेरे पास पासपोर्ट या फोन भी नहीं था.”

यह हालत सिर्फ शीला की नहीं थी. भारत, नेपाल और पाकिस्तान की दर्जनों लड़कियां केन्या में नाइटक्लबों की दुनिया में ऐसे ही फंसी हुई थीं. सबको व्यस्कों के मनोरंजन वाले क्लबों में बॉलीवुड स्टाइल डांस करना था. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पुलिस के मुताबिक कई लड़कियों को गैरकानूनी ढंग से काम पर लगाया गया था.

नेपाल के मानवाधिकार कमीशन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक केन्या और उसके पड़ोसी तंजानिया में 2016 और 2017 में 43 नेपाली महिलाएं थीं. अप्रैल 2019 में पुलिस ने कई ठिकानों पर छापा मार कर शीला समेत 11 लड़कियों को आजाद कराया.

मोम्बासा क्लब के मालिक आसिफ आमिराली अलीभाई जेठा पर मानव तस्करी से जुड़े तीन मामले दर्ज किए गए. आसिफ कनाडाई-ब्रिटिश नागरिक है. उसने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि सभी लड़कियों को कानूनी ढंग से नौकरी पर रखा गया. किसी से यौन उत्तेजना फैलाने वाला डांस नहीं कराया गया, ना ही यौन शोषण किया गया. डांस सिर्फ सांस्कृतिक नृत्य था.

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी