आज दिनक 9 अक्टूबर 2022, होटल दी केन मैं रोड, रांची हज़रत मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जन्म दिवस के अवसर पर फ्रेंड्स ऑफ़ विकर सोसाइटी , रांची के दुवार एक सिम्पोजियम का आयोजन किया गया।
जिसका विषय था “मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की नैतिक शिक्षा आज के वर्त्तमान पर्स्थिथि में” आज के इस कार्यकम में मुख्य अथिति श्री डॉ. अनवार ए. खान पूर्व वाईस चान्सलर, रांची यूनिवर्सिटी, रांची ने सभागार में मौजूद लोगों को सम्बोधित करते हुए मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जीवन एवं उनके दिये गए नैतिक उपदेशों को बताया।
उन्हों ने पैगम्बर मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हेड ऑफ़ थे स्टेट होने के बावजूद उन्हों ने शांति कायम करने के उद्देश से यहूदियों के साथ एक समुझौता करते हैं जिसमे उन्हों ने यहूदियों की शर्त मानी ,यह था उनका शांति कायम करने का तरीका।
उन्हों ने कहा ईश्वर दुनिया के हिस्से में कम ओ बेस एक लाख चौबीस हज़ार पैगम्बर (दूत) भेजे है जिसमे हिंदुस्तान भी अछुता नहीं रहा है। उन्हों कहा की पैगम्बर मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कभी भी दुसरे धर्मो के लोगों के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया , न ही उनके धार्मिक ग्रंथो को अपमानित किया।
उन्हों ने लोगों से कहा की जिस दिन दुनिया में कुरान का पहला आयत या सलोग नबी पर ईश्वर के तरफ से आया उस दिन मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को मानने वाले लोग शिक्षा दिवस के रूप में अमनाये कियों की मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारने वाला पहला आयत अथवा सलोग इकरा था जिसका अर्थ होता है “पढ़”।
विशिस्ट अतिथि के तौर पर मौजूद अशोक वर्मा सामाजिक कार्यकर्ता जी ने कहा की दुनिया में पहली बार मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने महिलाओं को संम्पत्ति का अधिकार दिया एवं महिला शसक्तीकरण को बढाया।
उन्हों ने कहा की मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) कभी युद्ध के पक्ष में नहीं रहते थे वे मज़बूरी मे ही युद्ध करते थे अपनी रक्षा के लिए ही युद्ध करते थे। उन्हों ने कहा की प्रोफेट मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने विश्व में पहली बार युद्ध के नियम बनाये।
युद्ध बंदियों के लिए काफी मनिविय नियम और सहूलत का नियम बनायाI सैकड़ों सालों बाद रेड क्रॉस सोसाइटी ने पैगम्बर मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के बनाये हुए युद्ध नियमों को पूरी दुनिया लागु करवाया।
उन्हों ने कहा मुझे लगता है की गांघी जी का सत्याग्रह भी कहीं न कहीं मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के उसूलों पर टिका था।
झारखण्ड ट्राइबल अडवैसरी कौंसिल के सदस्य रतन तिर्की ने भी प्रोफेट मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जीवन के नैतिक उद्देशों को बताते हुए कहा की वे उदार, बहादुर प्रेमी और शांतिपूर्ण व्यक्ति थे।
और यही कारण था कि वह पृथ्वी को किसी भी बड़ी विपत्ति से बचाने के लिए शांति और मानवता बनाए रखने के लिए संघर्ष करते थे।
उन्हों ने पश्चिमी लेखक माइकल हार्ट को कोट करते हुए कहा की लेखक ने दुनिया के उन सौ महानतम व्यक्तियों का उल्लेख किया है जिन्होंने दुनिया को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने पहली गिनती पर प्रोफेट मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को रखा है। भले ही लेखक एक ईसाई है।
राष्ट्री इसाई संघ के अध्यक्ष प्रभाकर तिर्की ने कहा की प्रोफेट मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के कथनी और करनी में फर्क नहीं था । उन्हों ने उनके सहिसुनता का उद्धरण देते हुए कहा के वे अपने दुश्मनों को भी माफ़ कर दिया करते थे।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. हरविंदर बीर सिंह ने कहा की प्रोफेट मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने विरोधियों का भी भला करते थे, उन्हों ने कहा की एक बूढी औरत उनके ऊपर रोज कूड़ा फेका करती थी लेकिन जब किसी दिन उसने कूड़ा नहीं फेका तो पता चला की वः औरत बीमार है प्रोफेट मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उस बूढी औरत के घर जाकर हाल लिया।
पटना से आए शीक्षाविद्द व् इस्लामिक स्कॉलर रशीद नय्येर ने बतया की इस दूत प्रोफेट मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने सम्पूर्ण मानवता को यह सन्देश दिया की मै तुम सब का हूँ मै पूरी मानवता का हूँ।
किसी खास पन्त या समुदाय विशेष का मुझ पर सर्व अधिकार नहीं है। आज इस बात को सभी लोगों को समझने की ज़रूरत है और खास कर उनके अनुयायी को यह समझना चाहिए।
सकीना अफज़ल अहमद ने कहा की प्रोफेट मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पुरे इंसानों के लिए मसीहा थे।
वार्ड 12 का पार्षद कुलभूषण डुंगडुंग ने कहा की मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने जो मानवता का पाठ पढाया है उसे जन जन तक पहुचने की ज़रूरत है I
प्रोफेट मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जन्म दिवस के मौके पर क्लास IX , X , XI और XII के छात्रों के बिच एक निबंध परतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसक शीर्षक था प्रोफेट मोहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) “संपूर्ण मानवता के लिए एक आदर्श” इस निबंध परतियोगिता में में प्रथम स्थान रेयान रहमान , दूसरा स्थान खुस्वा नेहल और तीसरा स्थान तैबा रहमान प्रथम स्थान प्राप्त करने वालों को 5 हज़ार कैश, मोमेम्टो और सर्टिफिकेट दिया गया दुसरे को 3 हज़ार कैश, मोमेम्टो और सर्टिफिकेट दिया गया और तीसरे को 2 हज़ार कैश, मोमेम्टो और सर्टिफिकेट दिया गया।
साथ ही साथ 10 कॉन्सोलेशन प्राइज दिया गया जिसमे नेमत तारा, सानिया सारा हेयात , फरहा नाज़ , अक़दस अली , अनम रहमान , सबा परवीन , अलिफा सिद्दीकी , अकिल अहमद और ज़बिउर रहमान।
उर्दू में अतिका सज्जाद और कवि अल्तमस और मो. मुकर्रम को भी कॉन्सोलेशन प्राइज दिया गया। साथ में अमिरिन असगर और इंसा खान को अच्छे प्रेजेंटेशन के लिए प्राइज गिया गया।
इस कर्यक्रम के दौरान सोसाइटी ने 19 ज़रूरत मंदों छात्रों को को आर्थिक मदद करते हुए चेक दिया।
साथ साथ ही आज के इस सिम्पोजियम में प्रोफेट मोहम्मद सल्ला वसल्लम के बारे में जितने भी नॉन मुस्लिम विद्वानों , साहित्यकारों, इतिहासकारों, और साइंटिस्ट्स ने जो बातें कही थी उन तमाम बातों , विचारों को एक बुकलेट के शक्ल में बनाकर लोगों के बीच बांटा गया । एवं पोस्टर बनाकर दरसाया गया।
फ्रेंड्स ऑफ़ विकर सोसाइटी के अध्यक्ष तनवीर अहमद ने कार्यकर्म के उददेशों को लोगो के बिच रखा , सचिव मो. खलील ने वोट ऑफ़ थैंक्स दिया।
आज के सभा के कन्वेनर और सामाजिक कार्यकर्ता एवम शिक्षाविद् डॉ. एम. एन. ज़ुबैरी ने संचलन कियाi इस मौके पर सोसाइटी के सरपरस्त इरशाद अहमद , उपाध्यक्ष मो. जाहिद , खजांची अरशद शमीम , सचिव कमर सिद्दीकी , मजहर हुसैन , सुहेल अहमद , नौशाद, मो. आसिफ आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया । इस मौके पर अंजुमन सचिव, डॉ तारिक, जॉइंट सचिव मास्टर शाहिद, सहीद टुकलु , एस. अली, औरंजेब खान, सय्यद नेहाल, अंसारुल्लाह, हाजी एनामुल, जावेद शम्शी, अशरफ हुसैन, मो इबरार, तहसीन, साजिद, अज़ीज़, अहमद शेर, समीउल्लाह खान आदि काफी संख्या में लोग मौजूद थे।
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