पूर्व IAS शाह फैसल पर PSA के तहत मुकदमा दर्ज किया गया!

, ,

   

पूर्व आईएएस शाह फैसल पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया है।

 

न्यूज़ स्टेट पर छपी खबर के अनुसार, शाह फैसल पर PSA के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। IAS की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वाले शाह फैसल जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) के अध्यक्ष हैं।

 

बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद शाह फैसल को पिछले साल 14 अगस्त को सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में लिया गया था।

 

बाद में उन्हें कस्टडी में लेकर एमएलए हॉस्टल में रखा गया थाा। अभी ये तय नहीं है कि शाह फैसल को उनके घर में शिफ्ट किया जाएगा अथवा एमएलए हॉस्टल में ही रखा जाएगा।

 

 

पब्लिक सेफ्टी एक्ट यानी सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम। सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम बिना मुकदमे के किसी भी व्यक्ति को दो साल तक की गिरफ्तारी या नज़रबंदी की अनुमति देता है।

 

यह कानून 1970 के दशक में जम्मू-कश्मीर में लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिए लागू किया गया था, क्योंकि उस समय ऐसे अपराध में शामिल लोग मामूली हिरासत के बाद आसानी से छूट जाते थे।

 

पूर्व मुख्यमंत्री और फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला ने लकड़ी तस्करों के खिलाफ इस अधिनियम को एक निवारक के रूप में लाए थे, जिसके तहत बिना किसी मुकदमे के दो साल तक जेल की सजा देने का प्रावधान किया गया था।

 

1990 के दशक की शुरुआत में जब राज्य में उग्रवाद भड़का तो पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) पुलिस और सुरक्षा बलों के काम आया। 1990 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य में विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को लागू किया तो बड़े पैमाने पर PSA का इस्तेमाल लोगों को पकड़ने के लिए किया गय।

 

PSA के तहत हिरासत की एक आधिकारिक समिति द्वारा समय समय पर समीक्षा की जाती है और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।

 

सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) सरकार को 16 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए रखने की अनुमति देता है।

 

2011 में, न्यूनतम आयु 16 से बढ़ाकर 18 कर दी गई थी। हालिया दशकों से दौरान इसका इस्तेमाल आतंकवादियों, अलगाववादियों और पत्थरबाजों के खिलाफ किया जाता था।

 

2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की हत्या के बाद कश्मीर घाटी में विरोध प्रदर्शनों के दौरान पीएसए के तहत 550 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था।

 

शाह फैसल ने सिविल सेवा परीक्षा (2010) में टॉप किया था और वे जम्मू-कश्मीर से थे। फैसल ने कश्मीर में कथित हत्याओं और इन मामलों में केंद्र की ओर से गंभीर प्रयास नहीं करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया।

 

इस्तीफा देने के एक दिन बाद शाह फैसल ने कहा कि उनका अगला कदम इस पर निर्भर करेगा कि कश्मीर के लोग, खासकर नौजवान उनसे क्या चाहते हैं। शाह फैसल ने कहा कि सरकारी सेवा छोड़ने के लिए उन्हें आलोचना और सराहना दोनों मिली है और उन्हें इसकी ‘पूरी उम्मीद भी थी।

 

उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा था, ‘अब मैं सेवा छोड़ चुका हूं। इसके बाद मैं जो कदम उठाऊंगा वह इस पर निर्भर करेगा कि कश्मीरी लोग, खासकर युवा मुझसे क्या चाहते हैं। शाह फैसल ने अपने भविष्य के बारे में निर्णय करने से पहले लोगों से सुझाव देने के बारे में भी कहा है।

 

उन्होंने कहा अगर आप फेसबुक/टि्वटर से बाहर निकलकर श्रीनगर आएं तो हम साथ मिलकर विचार कर सकते है। फेसबुक लाइक्स और कमेंट से नहीं बल्कि लोगों से मिलकर राजनीति पर फैसला होगा।