अगर आप क़तर में नौकरी करना चाहते हैं तो हो जाए सावधान!

   

एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार कतर में सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर बिना वेतन के काम कर रहे हैं. कई सारे मजदूरों को बिना मुआवजा के खाली हाथ अपने देश वापस लौटना पड़ा है.
खाड़ी देश कतर की स्थिति दिखाती है कि हाल में उठाए गए कदमों के बावजूद श्रमिकों के अधिकारों में और सुधार करने की जरूरत है.

2022 में फीफा वर्ल्ड कप का आयोजन कतर में होना है. इसकी घोषणा होने के बाद से ही कतर में श्रमिकों की बदहाल स्थिति में सुधार को लेकर मांग शुरू हो गई थी. इसका असर ये हुआ कि श्रमिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक व्यापक सुधार कार्यक्रम बनाकर विदेशों में अपनी छवि सुधारने की कोशिश की गई. लेकिन हालात में कोई बदलाव नहीं आया है.

आईएलओ ने 2017 में श्रमिकों के साथ व्यवहार और उनके अधिकार को लेकर कतर के खिलाफ एक मामले को वापस ले लिया था. वजह ये थी कि कतर ने इस मामले में सुधार का वादा किया था. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की संस्था आईएलओ ने नए सुधारों को लागू करने में मदद के लिए दोहा में एक कार्यालय भी खोला था.

कतर अपने देश में काम के लिए 20 लाख प्रवासी श्रमिकों पर निर्भर है. इसमें से ज्यादातर एशियाई देशों जैसे नेपाल, भारत और फिलीपींस के हैं. कतर ने सुधार कार्यक्रम के तहत अधिकांश श्रमिकों के लिए एग्जिट वीजा को समाप्त कर दिया है.

न्यूनतम वेतन लागू किया है. बिना वेतन की मजदूरी की शिकायतों के तुरंत सामाधान के लिए विवाद निवारण समितियों की स्थापना की है. लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशनल की नई रिपोर्ट यह बता रही है कि कैसे विवाद निवारण समितियों के बावजूद सैकड़ों की संख्या में मजदूरों को पैसा नहीं मिल पा रहा है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल के ग्लोबल इश्यू के उप-निदेशक स्टीफन कॉकबर्न ने कहा, “वर्ल्ड कप के पहले श्रमिकों के अधिकारों में सुधार के वादों के बावजूद नियोक्ता मजदूरों के साथ छल कर रहे हैं.”

दूसरी ओर प्रतिक्रिया देते हुए कतर ने कहा कि वह एनजीओ सहित अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) के साथ मिलकर इस बात को सुनिश्चित कर रहा है कि जो सुधार किए गए है, उसका लाभ श्रमिकों को मिले.

सरकारी संचार कार्यालय ने कहा, “यदि श्रमिक अधिकारों के लिए किए गए सुधार को लेकर कहीं कोई समस्या आ रही तो इसे तुरंत दूर किया जाएगा. हमने शुरू से ही कहा है कि इसमें थोड़ा समय लगेगा.”

रिपोर्ट के अनुसार कतर की तीन कंपनियों के ऊपर 2000 से ज्यादा श्रमिकों को वेतन न देने का आरोप लगा है. इनमें से 1,620 श्रमिकों ने श्रम विवादों के निपटारे के लिए बनी समितियों में शिकायत दर्ज करवाई है. ये सभी श्रमिक निर्माण कार्य और सफाई सेवा उपलब्ध करवाने वाले कंपनियों में काम कर रहे थे.

हालांकि ये कंपनियां सीधे तौर पर वर्ल्ड कप प्रोजेक्ट से नहीं जुड़ी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार, “कुछ श्रमिकों को मामला वापस लेने के बदले कमाई का थोड़ा हिस्सा दिया गया. वहीं कई सारे लोग बिना पैसे के ही वापस अपने देश लौट गए. किसी भी मजदूर को विवाद निवारण समितियों के कोई मुआवजा नहीं मिला.”

कतर के प्रशासनिक विकास, श्रम और सामाजिक मामले के मंत्रालय ने एमनेस्टी इंटरनेशनल को बताया कि उन्होंने कई मामलों के समझौते में मदद की. साथ ही श्रमिकों के कैंप में खाना और जेनरेटर उपलब्ध करवाया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सुधार कार्यक्रम के तहत अक्टूबर 2018 में श्रमिक के मुआवजा के लिए सहायता निधि की घोषणा की गई थी. इसकी तत्काल आवश्यकता है. लेकिन इस निधि में ना तो पैसे आए हैं और ना हीं इसका उपयोग हुआ है. हालांकि सरकार का कहना है कि सहायता निधि के बारे में जो बात कही गई है, वह गलत है. प्रवासी श्रमिकों के कई मामलों के समाधान के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है.

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी