साढ़े तीन दशक पहले जिस अयोध्या आंदोलन की नींव पड़ी, उसने निर्णायक घड़ी तक पहुंचते-पहुंचते बहुत कुछ बदल दिया। हालात बदल दिए और किरदार भी बदल गए।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, देश और दुनिया भर में चर्चित श्रीराम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद ने न सिर्फ लोगों का ध्यान अयोध्या की तरफ खींचा, बल्कि भौगोलिक रूप से अवध के इस छोटे नगर ने देश और दुनिया में बहुत कुछ बदल दिया।
मुख्य किरदारों में कई तो फैसले का सपना लिए दुनिया से चले गए। जो बचे, उनकी भूमिका और जुबान भी बदल गई।
सारे प्रमुख मुद्दई भी दुनिया छोड़ गए। कांग्रेस जैसे जो दल तब अर्श पर थे, वे धड़ाम होकर फर्श पर आ गिरे। भाजपा और शिवसेना जैसे दल जो तब अपने अस्तित्व की जद्दोजहद में जुटे थे, उन्हें इस आंदोलन ने आसमान पर पहुंचा दिया।
80 के दशक तक हिंदुत्व की राजनीति करने वाले जनसंघ और शिवसेना जैसे जो दल कांग्रेस ही नहीं, उसके विरोधी दलों के लिए अछूत थे, बीच-बीच में कई बार सरकार बनाने में भाजपा व शिवसेना का सहयोग ले चुके थे।
साढ़े तीन दशक पहले देश में कांग्रेस का विकल्प बनने की जद्दोजहद थी तो आज इस मामले के निर्णायक घड़ी तक पहुंचते-पहुंचते सियासी परिदृश्य में भाजपा का विकल्प बनने की जद्दोजहद है।