राम मंदिर मामला: विश्व हिंदू परिषद और शंकराचार्य में खींच गयी तलवारे!

   

कुंभनगरी प्रयागराज में द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में चली तीन दिवसीय परम धर्म संसद ने बुधवार को धर्मादेश जारी कर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए तारीख का ऐलान कर दिया।

यह धर्मादेश प्रयागराज में ही विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में होने वाली धर्म संसद के एक दिन पहले आया है। वीएचपी की धर्म संसद से पहले जारी इस धर्मादेश से साधु-संतों के बीच राम मंदिर निर्माण को लेकर धर्मायुद्ध छिड़ने की संभावना है।

कुंभक्षेत्र के सेक्टर 9 में तीन दिनों तक चली परम धर्म संसद के आखिरी दिन राम मंदिर को लेकर विस्तृत चर्चा के बाद धर्मादेश जारी हुआ। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा जारी धर्मादेश में कहा गया है कि बसंत पंचमी के स्नान के बाद संत समाज अयोध्या के लिए कूच करेगा। और 21 फरवरी को राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी।

आज तक पर छपी खबर के अनुसार, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के बलिदान देने का वक्त आ गया है। कोर्ट के फैसले में अभी और देर होनी है, लिहाजा संत समाज शांतिप्रिय ढंग से रामाभिमानी सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत अयोध्या कूच करेगा। अगर उन्हें रोका गया तो वे गोली खाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में हुई धर्म संसद के धर्मादेश पर प्रतिक्रिया देते हुए वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र जैन ने ‘आजतक‘ से बातचीत में कहा कि जिस धर्म संसद ने राम मंदिर के मामले को इस मुकाम पर पहुंचाया कि आज वो सेंटरस्टेज पर है, उस धर्म संसद की बैठक आज होनी है।

उन्होंने पूछा आखिर वे मंदिर निर्माण कहां करेंगे? न उनके पास जमीन है और न ही वे किसी जमीन के अधिकारी हैं। वे कुछ नहीं कर पाएंगे. सुरेंद्र जैन ने कहा कि राम मंदिर निर्माण वीएचपी की अगुवाई वाली धर्म संसद ही करेगी क्योंकि हमने इसके लिए संघर्ष किया है। जैन ने परम धर्म संसद द्वारा जारी धर्मादेश में साजिश की आशंका जताई।

लेकिन इस धर्मसभा के कुछ ही दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में परम धर्मसंसद का आयोजन किया गया। इस धर्मसंसद में मंदिर निर्माण को लेकर उचित कदम नहीं उठाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की गई।

जबकि मंदिर निर्माण के लिए आंदोलनरत संतों के साथ दुर्व्यवहार की भर्त्सना की गई। अब एक बार फिर संत समाज का वही धड़ा आमने-सामने है। जिसमें शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने तारीख का ऐलान कर मंदिर निर्माण की दिशा में एक बड़ी लकीर खीच दी है। अब देखना होगा कि वीएचपी की अगुवाई वाला संत समाज का धड़ा इसके जवाब किस तरह की रणनीति अख्तियार करता है?