रमजानुल का चांद दिखा, माह-ए-रमजान कल से शुरू

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दिनभर इंतजार के बाद शुक्रवार शाम जैसे ही चांद कमेटियों ने रमजानुल मुबारक का चांद दिखाई देने का एलान किया, वैसे ही लोगों ने एक-दूसरे को माह-ए-रमजान की मुबारकबाद देनी शुरू कर दी। कोरोना संक्रमण से बचने और लॉकडाउन के पालन के चलते सभी ने शारीरिक दूरी भी बनाए रखी। लोग मोबाइल फोन से एक-दूसरे को मुबारकबाद देते नजर आए।

मरकजी चांद कमेटी फरंगी महल और इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मरकजी शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी और इदार-ए-शरैया फरंगी महल के मौलाना अबुल इरफान फरंगी महली ने संयुक्त रूप से रमजानुल मुबारक का चांद दिखाई देने की पुष्टि की है। शाम करीब पौने सात बजे मौलानाओं की घोषणा के साथ ही लोग सेवई और खजूर की खरीदारी के लिए घर के पास की दुकानों पर नजर आए। पुराने लखनऊ में पहले से ही ऑर्डर बुक हो चुके थे। ऐशबाग ईदगाह के मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने चांद दिखने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अल्लाह की इबादत के लिए सबसे ज्यादा पाक (पवित्र) महीना रमजान शनिवार से शुरू हो रहा है।

रमजान हिजरी कैलेंडर के इस नौवें महीने में मुस्लिम समाज के लोग रोजा रखते हैं। रोजा एक ऐसा व्रत होता है, जो सूर्योदय से पहले शुरू होता है और सूर्यास्त तक चलता है। मौलाना सैफ अब्बास ने बताया कि सहरी सुबह का खाना होता है, जो व्रत शुरू होने से पहले खाया जाता है। वहीं, इफ्तार दिनभर उपवास पूरा होने पर शाम के वक्त किया जाता है। इफ्तार का मतलब व्रत तोडऩा होता है। इफ्तार के रूप में ज्यादातर लोग, फल, खजूर और अंकुरित चने का सेवन करते हैं। रमजान के वक्त रोजा रखने वाले सभी मुसलमान पांच वक्त की नमाज पढऩा नहीं भूलते। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि रमजान में खजूर से रोजा खोलना सुन्नत-ए-रसूल है। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से इस बार बाजार में खजूर की उपलब्धता बहुत कम है। उन्होंने प्रशासन से दुकानों तक खजूर पहुंचवाने की अपील की है।