RBI के न चाहते हुए भी मोदी सरकार ने जबरन थोपी नोटबंदी- कांग्रेस

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कांग्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड की बैठक के विवरण का हवाला देते हुए दावा किया कि नोटबंदी के लिए प्रधानमंत्री ने कालेधन पर अंकुश लगने सहित जो कारण गिनाए थे उन्हें केंद्रीय बैंक ने इस कदम की घोषणा से कुछ घंटे पहले ही नकार दिया था. हालांकि इसके बावजूद नोटबंदी का फैसला उस पर थोपा गया.

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के बारे में आरटीआई से मिली जानकारी का ब्योरा रखते हुए यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी तो नोटबंदी के बाद करचोरी के लिए पनाहगाह माने जाने वाली जगहों पर पैसे ले जाने में असामान्य बढ़ोतरी और देश के बैंकों में असामान्य ढंग से पैसे जमा किए जाने के मामलों की जांच की जाएगी.

रमेश ने कहा, ‘8 नवंबर 2016 को रात आठ बजे नोटबंदी की घोषणा हुई. उसी से कुछ घंटे पहले आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की बैठक हुई. उस बैठक में क्या हुआ किसी को पता नहीं चला. आरबीआई के गवर्नर रहते हुए उर्जित पटेल तीन बार संसद की समितियों के सामने आए. तीनों बैठकों में उन्होंने यह नहीं बताया कि आरबीआई की बैठक में क्या हुआ था? अब 26 महीने बाद आरटीआई के जरिए उस बैठक का ब्योरा सामने आया है.’

उन्होंने कहा, ‘इस बैठक में कहा गया कि कालाधन मुख्य रूप से सोना और रियल स्टेट के रूप में है. इसलिए नोटबंदी का कालेधन पर कोई बहुत फर्क नहीं पड़ेगा. जाली नोटों के बारे में बहुत बातें की गई थीं, लेकिन बैठक में कहा गया है कि नोटबंदी से जाली नोटों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.’

रिजर्व बैंक का यह भी कहना था कि नोटबंदी का पर्यटन पर तात्कालिक नकारात्मक असर होगा. कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘नोटबंदी को लेकर जो कारण दिए गए थे, उनको आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने नकारा था. इन सबके बावजूद आरबीआई ने कहा कि वह नोटबंदी के साथ है. इसका मतलब कि आरबीआई पर दबाव डाला गया. नोटबंदी का फैसला उस पर थोपा गया था.’

उन्होंन आरोप लगाया था कि नोटबंदी एक ‘तुगलकी फरमान’ और ‘घोटाला’ था जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया. एक सवाल के जवाब में रमेश ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर आरबीआई की स्वायत्तता और उसकी पेशेवर स्वतंत्रता को फिर से बहाल किया जाएगा.