खेल के मैदान पर सियासी और धार्मिक दूरियों के लिए कोई जगह नहीं होती है, खिलाड़ी बस खेल को ही अपना धर्म मानते हैं और खेल भावना ही उनकी उपासना होती है। तभी तो कहते हैं कि खेल अक्सर सियासी नफरतों और आपसी मतभेद को भुलाने का एक बेजोड़ तरीका है। ऐसा ही उदाहरण एक बार फिर क्रिकेट के मैदान पर देखने को मिला जिसने इस मान्यता को और प्रबल कर दिया है।
दशकों से आपसी नफरत और सियासत का दंश झेल रहे कश्मीर के मुस्लिम और पंडित समुदाय के दो युवा खिलाड़ियों ने आपसी मेल का ऐसा करिश्मा दिखाया जिसकी तारीफ हर ओर हो रही है। दुबई कश्मीर सुपर लीग में बल्लेबाजी करते हुए बतौर सलामी बल्लेबाज के रूप में संदीप भान और रजाब आबिद ने 251 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी कर नया कीर्तिमान रच दिया है।
इन दोनों खिलाड़ियों ने दुबई के अजमल क्रिकेट परिषद के मैदान में केएसएल की इस लीग में रिकॉर्ड साझेदारी करते हुए 251 रन बनाए। बता दें कि ये लीग 4 साल पहले कश्मीरी लिविंग ओवरसीज के द्वारा चलाई गई थी।
1990 का वो दशक था जब से कश्मीर में मुस्लिमों और पंडितों के आपसी मेलजोल पर गहरा आघात हुआ और भारी संख्या में पलायन हुआ। संदीप की बात करें तो वो एक कश्मीरी पंडित हैं जो 1990 के पलायन के बाद वापस कभी कश्मीर नहीं लौटे और वहीं रजाब की बात करें तो उनका निवास स्थान श्रीनगर में है।
द हिंदु की खबरों की मानें तो इस यादगार पारी के बाद संदीप ने बताया कि इस इनिंग के बाद सभी बेहद खुश हैं। इस 251 रनों की पारी में कप्तान आबिद ने 62 गेंदों पर 142 रन बनाए जिसमें उन्होंने 7 चौके और 13 छक्के जड़े, जबकि संदीप ने 58 गेंदों पर नाबाद 109 रनों की पारी खेली। उन्होंने बताया कि हम इस पहल के माध्यम से आपसी सौहार्द को फिर से जीवंत बनाना चाहते हैं।
मैच के आखिरी ओवरों में धोनी को थोड़ी परेशानी महसूस हुई और फिजियो को बुलाना पड़ा। इसी समय ड्रिंक्स ब्रेक हुआ जिसमें खलील अहमद मैदान पर रिफ्रेशमेंट्स लेकर आए। वह पिच पर चलते हुए गए। यह देख धोनी नाराज हो गए और वापस जाते खलील को डांट लगाई
संदीप दुबई में ही नौकरी करते हैं और उनके साथ पहली बार इस लीग में 4 और कश्मीरी पंडितों ने इस लीग में भाग लिया है। ये सभी खिलाड़ी Razey Kadal Felcons (RKF) टीम के लिए खेलते हैं जो श्रीनगर के एक पुराने शहर का नाम है जहां 1990 से पहले कश्मीरी पंडित और मुस्लिम बहुतायत संख्या में रहा करते थे। इस टीम के जुड़ने के साथ ही अब इस लीग में कुल टीमों की संख्या 14 हो गई है।
खबरों की मानें तो संदीप 1990 के बाद कभी कश्मीर वापस लौटकर नहीं गए लेकिन राकिब अभी भी अपने कश्मीरी पंडित दोस्तों के टच में हैं। वहीं, दुबई की अगर बात करें तो वहीं करीब 30,000 कश्मीरी रहते हैं जिसमें 500 कश्मीरी पंडितों का भी परिवार शामिल है। इस पहल की बात करें तो ये निश्चित रूप से एक सराहनीय कदम है।
साभार- ‘जनसत्ता’