क्या कोविड-19 से रिकवर होने वाले लोगों को भी है खतरा?

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नियाभर में कोरोना कहर बनकर टूट रहा है. बीते 6 महीनों में दो करोड़ से अधिक लोग इस वायरस की गिरफ्त में आ चुके हैं, तो मरने वालों की संख्या 7 लाख 34 हजार के पार पहुंच गई है। 

 

न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, इसके बाद भी कोरोना संक्रमण का कोई स्थाई समाधान नहीं निकल पाया है।

 

इस बीच कई तरह के अध्ययन भी सामने आए हैं, जिनमें से एक में ये दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमण से रिकवर होने के बाद भी लोग क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम के शिकार हो सकते हैं, जिसका कोई स्थाई उपचार ही नहीं है।

 

इसका सीधा सा मतलब ये है कि कोरोना से जान भले बच जाए, किन्तु ये अपने पीछे ऐसी बीमारी छोड़कर जा सकता है, जिसका दंश आपको ताउम्र झेलना पड़ सकता है।

 

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन सेंटर ने दावा किया है कि कोरोना से रिकवर हुए 35 फीसदी लोगों में क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम मिला है, जो काफी चिंताजनक बात है। ये रिपोर्ट 24 जुलाई तक के मामलों के अध्ययन के बाद तैयार की गई है।

 

CDC ने कोरोना से स्वस्थ हुए 229 लोगों के बीच ये सर्वे किया, जिसमें से 35 प्रतिशत लोग क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम से पीड़ित पाए गए। इस सिंड्रोम का कोई एक लक्षण नहीं है।

 

सबमें इसके अलग अलग या कई लक्षण और समस्याएं एक साथ देखी गई। इस समस्या के ठीक होने में कई बार दशकों का वक़्त लगता है और कई गंभीर बीमारियों से उपचार के बाद ये सिंड्रोम लोगों में पाया जाता है।

 

यानि कि कोरोना महामारी इस क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम को बढ़ाने वाले एक और कारण के रूप में ही सामने आया है।