मिलिए दुनिया की सबसे बुज़ुर्ग शार्प शूटर 86 वर्षीय ‘चंद्रो’ दादी से

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बागपत : बागपत जिले के जोहरी गांव में रहने वाली 81 साल की चंद्रो तोमर लोगों के लिए मिसाल हैं. जी हां, 81 वर्षीय दादी चंद्रो तोमर दुनिया की सबसे बुज़ुर्ग शार्प शूटर हैं. इनके नाम 25 राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप खिताब हैं. भले ही दादी चंद्रो की उम्र 86 साल की हो, लेकिन उनका निशाना अब भी बिलकुल सटीक लगता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिले बागपत में एक बुजुर्ग महिला उन लोगों के लिए मिशाल बनी है जो उम्र के आखिरी पड़ाव पर हार मान जाते है. 86 साल की शूटर चंद्रो ने तोमर ने शूटिंग में सैकड़ों मेडल अपने नाम किए हैं. देश ही नहीं, विदेशों में भी शूटिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है. इस वक्त वह गांव और आसपास की लड़कियों को शूटिंग के गुर सिखा रही हैं. इस कारनामे की वजह से यह महिला पूरे इलाके में शूटर दादी के नाम से मशहूर है.

चंद्रो ने आम खिलाड़ियों की तरह युवा अवस्था से शूटिंग शुरू नहीं की, बल्कि बुजुर्ग अवस्था में शुरू की थी. शूटर दादी चंद्रो अपनी पोती शेफाली को निशानेबाजी सिखाने के लिए उसके साथ डॉ राजपाल की जोहड़ी गांव में शूटिंग रेंज पर उसके साथ जाया करती थी. दादी ने भी एक दिन वहां रखी पिस्टल से निशाना लगाया, उसे देखकर सब अचंभित रह गए. दादी ने पिस्टल से टारगेट को भेद दिया, सभी ने दादी के निशाने को काफी सराहा तो दादी के मन में भी कुछ कर गुजरने की आई. दादी समाज की बंदिशों को छोड़कर निशानेबाज दादी बन गई.

दादी चंद्रो का कहना है कि ‘उन्हें बचपन से ही निशाना लगाने का शौक था, लेकिन जीवन की इस भागदौड़ और परिवार की जिम्मेदारियों के चलते उनका यह शौक पीछे छूट गया. पर ये शौक उनके भीतर जीवत था, जिसे सिर्फ़ एक मौके की तलाश थी. उन्हें अपनी काबलियत दिखाने का मौका 65 वर्ष की उम्र में तब मिला जब वह अपनी पोती शेफाली को लेकर भारतीय निशानेबाज डॉक्टर राजपाल सिंह की शूटिंग रेंज पर गईं. वहां बच्चों को निशाना लगाता देख उन्होंने भी बंदूक उठा ली और फिर एक सटीक निशाना लगा दिया’.

निशाना सही जगह लगता देख, शूटर राजपाल हक्के-बक्के रह गए. उन्होंने चंद्रो से कहा, ‘दादी तू भी शूटिंग शुरू कर दे’. इसके बाद निशानेबाजी का यह सिलसिला चालू हो गया. दादी चंद्रो यह भी बताती हैं कि शुरु में उनके हाथ कांपते थे, लेकिन लगभग 15 दिन बाद सब ठीक हो गया. उनकी तस्वीरें अखबारों में छपी. उन्हें पढ़ना तो नहीं आता पर फ़ोटो देखकर वह समझ गईं की मामला क्या है. बाद में जब उनके बेटों ने उन्हें प्रेरित करना शुरू किया तो चंद्रो तोमर निशानेबाजी में पूरी तरह जुट गईं. वह अब बच्चों, लड़कियों और बहुओं को शूटिंग सिखाती हैं. इनको लोग उन्हें दादी चंद्रो के नाम से भी पहचानते हैं.