डिप्रेशन के दौरान परिवार वाले चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े रहे- शमी

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एक इंसान के तौर पर लगभग हर किसी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं, कुछ लोग इन उतार-चढ़ावों से लड़ाई लड़कर उनको पार कर जाते हैं तो कुछ लोग लड़ाई नहीं लड़ पाते और खुद की जिंदगी को खत्म करने का फैसला कर लेते हैं।

 

यहां तक कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको एक समय पर आत्महत्या करने का ख्याल आया होता है, लेकिन उन्होंने ये फैसला किसी न किसी तरह बदलना उचित समझते हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश के अमरोहा के एक छोटे से गांव में रहने वाले मोहम्मद शमी को भी एक बार आत्महत्या करने का विचार आया था, जिसके बारे में उन्होंने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था।

 

वहीं, जब हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए उनसे सवाल किया गया कि आपने हाल ही में आत्महत्या पर विचार करने का उल्लेख किया है जब आप अपने घरेलू जीवन में एक कठिन दौर से गुजर रहे थे?

 

शमी ने उस दौर से कैसे डील किया इस बारे में वे बताते हैं कि इसमें सबसे ज्यादा योगदान उनके परिवार वालों का है, जिन्होंने उनको हिम्मत दी।

 

तेज गेंदबाज शमी ने कहा है, “डिप्रेशन यानी अवसाद एक समस्या है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सुशांत सिंह राजपूत जैसे शानदार अभिनेता को अपनी जान गंवाते हुए देखना दुर्भाग्यपूर्ण था।

 

वह एक दोस्त था और मेरी इच्छा थी कि मैं उससे बात करूं, मैं उसकी मानसिक स्थिति के बारे में जानता था।

 

मेरे मामले में, मेरे परिवार ने मुझे उस निम्न चरण से बाहर निकाला। उन्होंने मेरा ध्यान रखा और मुझे एहसास दिलाया कि मुझे वापस लड़ने की जरूरत है।”

 

उन्होंने आगे कहा, “कई बार मुझे आत्महत्या का अहसास हुआ, लेकिन मेरे परिवार ने सुनिश्चित किया कि मैं कभी अकेला न रहूं।

 

कोई न कोई तो हमेशा मेरे आसपास ही रहेगा। अध्यात्म भी आपको जवाब पाने में मदद करता है। अपने करीबी लोगों से बात करना या काउंसलिंग करना सबसे अच्छा तरीका है।

 

मानसिक दबाव निश्चित रूप से आपकी शारीरिक भलाई में हस्तक्षेप करता है। उसी समय, यदि आप दूसरों की मदद लेते हैं और इसके बारे में बात करते हैं, तो आप ऐसे मुद्दों से छुटकारा पा सकते हैं।”