ओवैसी ने अपने अगले ट्वीट में लिखा था, ‘इस कुछ फर्क नहीं पड़ता कि भागवत हमें कैसे विदेशी मुस्लिमों के साथ जोड़ते हैं, यह किसी भी तरह से मेरी भारतीयता को कम नहीं करेगा।
ज़ी न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के हिंदू राष्ट्र वाले बयान पर ओवैसी के पलटवार पर RSS के राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। दरअसल असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत के बयान पर कहा था कि भारत ना भी हिंदू राष्ट्र था, ना है और ना बनेगा।
Bhagwat cannot erase my history in India by renaming it ‘Hindu’. It won’t work. He cannot insist that our cultures, faiths, creeds & individual identities all be subsumed by Hinduism
Bharat na kabhi Hindu Rashtra tha, na hai, na hi kabhi banega Inshallah https://t.co/C0T2gLbnOm
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 13, 2019
इस पर राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक इंद्रेश कुमार ने कहा है कि ओवैसी मेंटल केस है। उन्होंने कहा कि, ‘भारत से सुंदर देश नहीं है, क्योंकि यहां का मूल स्वभाव हिन्दू है। भारतीय है, हिंदुस्तानी है। ओवैसी मेन्टल केस है।
दरअसल इंद्रेश कुमार का यह बयान ओवैसी के उस ट्वीट की प्रतिक्रिया के रूप में आया है जिसमें उन्होंने मोहन भागवत पर निशाना साधा था.
No matter how hard Bhagwat tries to link us to foreign Muslims, it will not reduce my Indianness.
Hindu Rashtra=Hindu Supremacy. That is unacceptable to us
The measure of whether we’re happy or not is the Constitution, not the magnanimity of majority
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 13, 2019
ओवैसी ने रविवार (13 अक्टूबर) को अपने ट्विटर अकाउंट से भागवत का बयान शेयर करते हुए लिखा, ‘मोहन भागवत भारत को हिंदू राष्ट्र बनाकर यहां से मेरा इतिहास नहीं बदल सकते हैं।
यह नहीं चलेगा। वह इस बात को हम पर नहीं थोंप सकते कि हमारी संस्कृतियां, आस्थाएं, पंथ और व्यक्तिगत पहचान सब हिंदू धर्म से जुड़ी हैं। भारत ना कभी हिंदू राष्ट्र था, ना है और ना कभी बनेगा इंशा अल्लाह।
ओवैसी ने अपने अगले ट्वीट में लिखा था, ‘इस कुछ फर्क नहीं पड़ता कि भागवत हमें कैसे विदेशी मुस्लिमों के साथ जोड़ते हैं, यह किसी भी तरह से मेरी भारतीयता को कम नहीं करेगा।
हिंदू राष्ट्र का मतलब हिंदू प्रभुत्व, यह हमारे लिए अस्वीकार्य है। हम खुश है या नहीं इसका पैमाना संविधान के आधार पर होगा ना कि बहुमत की उदारता पर।