कोरोना संकट ने भारतीय रुपये को भी रसातल में पहुंचा दिया. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया सोमवार को 102 पैसे टूटकर 76.22 (provisional) के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ. भारत में कोरोना के बढ़ते मामले के बीच शेयर बाजारों में जोरदार गिरावट का असर रुपये पर देखा गया. मुद्रा विनिमय बाजार के कारोबारियों का कहना है कि कोरोनावायरस बढ़ते मामले को देखकर को लेकर पूरे बाजार में चिंता है. सोमवार को कोविड19 के मामले 400 के पार हो गए हैं, जिसका अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना तय माना जा रहा है.
अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में सोमवार को रुपये में गिरावट के साथ 75.90 के स्तर पर कारोबार शुरू हुआ. कारोबार के आखिर में यह पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबलिे 102 पैसे कमजोर होकर 76.22 पर बंद हुआ. सत्र के दौरान रुपया 75.86 के उपरी और 76.30 के निचले स्तर तक गया. इससे पहले, शुक्रवार के सत्र में रुपया डॉलर की तुलना में 75.20 के स्तर पर बंद हुआ था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कोविड19 के मामले 415 तक पहुंच गए हैं.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के फॉरेक्स एंड बुलियन एनॉलिस्ट गौरांग सोमैया का कहना है कि पिछले कुछ कारोबारी सत्र में करंसी में लगातर गिरावट देखीजा रही है. इसकी वजह दुनिया की अन्य प्रमुख करंसी के मुकाबले डॉलर में आ रही मजबूती है. घरेलू मोर्चे पर विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) इक्विटी और डेट सेगमेंट में लगातार बिकवाली कर रहे हैं. एफआईआई ने 1 अरब डॉलर से जयादा की बिकवाली की.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर
भारतीय रुपये में गिरावट का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर दिखाई पड़ सकता है.रुपया में गिरावट से आयात के लिए अब ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे. इससे पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने-पीने की चीजों की महंगाई बढ़ने का खतरा रहता है. इस समय चूंकि क्रूड में भी भारी गिरावट है, इसलिए पेट्रोल और डीजल की महंगाई फिलहाल बढ़ने की उम्मीद नहीं है.