S-400 खरीदने का मक़सद ताक़तवर बनना है- तुर्की

   

अमरीकी रक्षा उद्योग को एक के बाद एक लगातार विफलताओं और बदनामियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे अमरीका के भारी आमदनी वाले इस उद्योग को आर्थिक नुक़सान तो हो ही रहा है साथ ही विश्व मंडियों में उसका वर्चस्व और एकाधिकार भी टूटता जा रहा है और इसका सीधा फ़ायदा रूस, चीन और यूरोप को मिल रहा है।

तुर्की के विदेश मंत्री मौलूद चावुश ओग़लू ने साफ़ साफ़ कहा कि उनके देश ने रूस से एस-400 सिस्टम इसलिए ख़रीदने का फ़ैसला किया कि यह सिस्टम बेहद ताक़तवर है और अपने लक्ष्यों को बड़े सटीक रूप से भेदने में सक्षम है।

इसके साथ ही उस अमरीकी पैट्रियट सिस्टम से काफ़ी सस्ता भी है जिसकी उपयोगिता पर हालिया वर्षों में प्रश्न चिन्ह लग गया है।

यह बात भी ध्यान योग्य है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने रूस से एस-400 सिस्टम ख़रीदने की स्थिति में तुर्की पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की अपनी धमकी पर अमल भी नहीं किया।

बस इतना किया कि अमरीका के एफ़-35 युद्धक विमानों के निर्माण में तुर्की की साझेदारी को रोक दिया। इस युद्धक विमान के कुछ पार्ट्स तुर्की में बनते रहे हैं।

बोइंग कंपनी के विमान 737 मैक्स 8 और 787 ड्रीम लाइन्ज़ की हालत सबके सामने है। इसी बीच ए 46-केसी नाम सैनिक विमान में गंभीर त्रुटियों का पता चला जिसके चलते अमरीकी सेना ने इस विमान का प्रयोग रोक दिया। यह विमान सियाटेल में बनते हैं।

ट्रम्प एक व्यापारी आदमी हैं उन्हें केवल हथियारों के सौदे अच्छे लगते हैं क्योंकि इससे एक साथ दसियों बल्कि सैकड़ों अरब डालर मिल जाते हैं। उन्हें यह भी पता है कि वह जो कुछ भी बेचने का इरादा कर लेंगे अरब सरकारें उसे ख़रीदने से इंकार नहीं कर सकतीं लेकिन यही रवैया वह तुर्की के साथ नहीं अपना सकते।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, अमरीका के सामरिक उद्योग का सिकुड़ना और विश्व में उसकी धाक का समाप्त हो जाना चीन और रूस के लिए बेहतरीन अवसर है और इसका फ़ायदा यूरोप को भी पहुंच रहा है।

जब नैटो के मेंबर तुर्की ने अमरीकी सामरिक उद्योग से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है तो आने वाले वर्षों में यदि नैटो के दूसरे सदस्य भी यही करें तो कोई हैरत की बात नहीं होगी।

बस यह नहीं समझ में आता कि यह सब कुछ हो रहा है और दुनिया के हालात बदल रहे हैं इस पूरी प्रक्रिया में हम अरबों का स्थान और भूमिका क्या है?