सऊदी अरब के विदेश राज्य मंत्री एडेल अल-जुबिर ने कहा है कि देश के पास 14 सितंबर को हुए तेल प्लांट पर हमलों का जवाब देने के लिए कई विकल्प हैं। अल अरेबिया ने अल-जुबेइर के हवाले से कहा कि हम वाशिंगटन के साथ उच्चतम स्तरों पर समन्वय कर रहे हैं।
अगर यह साबित हो जाता है कि ईरान हमलों के पीछे है तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और ईरान को इसकी कीमत चुकाने के लिए कहना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि ईरान का हमारे प्रति आक्रामक व्यवहार अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और कानूनों का उल्लंघन करता है। साथ ही कहा कि कोई भी युद्ध नहीं चाहता है और यह विकल्प अंतिम होना चाहिए। शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब और यूएई को अमेरिकी सेना की तैनाती की मंजूरी दी है।
जागरण डॉट कॉम के अनुसार, अमेरिका के रक्षा सचिव मार्क ग्रैफ ने कहा कि राष्ट्रपति ने अमेरिकी सेना की तैनाती को मंजूरी दे दी है ये सेना मुख्य रूप से हवाई और मिसाइल रक्षा पर केंद्रित है।
अमेरिका के रक्षा सचिव मार्क ग्रैफ ने कहा कि राष्ट्रपति ने अमेरिकी सेना की तैनाती को मंजूरी दे दी है ये सेना मुख्य रूप से हवाई और मिसाइल रक्षा पर केंद्रित है।
जानकारी के लिए बता दें कि यमन के हूथी विद्रोहियों ने 14 सितंबर को सऊदी अरब की कच्चे तेल की रिफ़ाइनरी पर ड्रोन हमले किए थे। इससे दुनियाभर में कच्चे तेल की सप्लाई पर असर पड़ेगा।
अमेरिका इस मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से कार्रवाई चाहता है। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा, ‘सुरक्षा परिषद का गठन अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए हुआ है और यह हमला इस पैमाने पर खरा उतरता है।’
यूएन ने जांच के लिए विशेषज्ञ भी सऊदी भेजे हैं। माना जा रहा है कि उनकी अगुआई में अंतरराष्ट्रीय जांच होगी। इस बीच खबर है कि अमेरिका की ओर से वीजा स्वीकृत नहीं होने के कारण ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और विदेश मंत्री जावद जरीफ न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से दूर रह सकते हैं।