अंतरराष्ट्रीय दबाव: सऊदी अरब नहीं देगा 12 साल के नाबालिग कैदी को फांसी!

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सऊदी अरब में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के जुर्म में गिरफ़्तार होने के बाद मौत की सज़ा पाने वाले शिया मुस्लिम लड़के को अब फांसी नहीं दी जाएगी।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक़, मुर्तज़ा क़ुरैरिस पर 2011 में केवल 10 वर्ष की आयु में सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत में दूसरे कई बच्चों के साथ एक साइकिल रैली में भाग लेने के आरोप था।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक़, क़ुरैरिस को 2014 में 13 वर्ष की आयु में गिरफ़्तार किया गया और 2018 में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने, आतंकवादी संगठन से जुड़ने और सुरक्षा बलों पर पैट्रोल बम से हमला करने के आरोपों में मौत की सज़ा सुना दी गई।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद, दुनिया भर में क़ुरैरिस का सिर क़लम किए जाने का व्यापक विरोध हुआ और मानवाधिकार संगठनों ने सऊदी सरकार पर इस सज़ा को रद्द करने के लिए दबाव डाला, जिसके बाद सऊदी शासन को सज़ा रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

एक सऊदी अधिकारी ने नाम ज़ाहिर नहीं करने की शर्त पर रॉयटर्ज़ को बताया कि क़ुरैरिस को अब मौत की सज़ा नहीं दी जाएगी और 2022 में आज़ाद कर दिया जाएगा।

सऊदी अरब में मौत की सज़ा सुनाए जाने के बाद उसे रद्द किया जाना एक अभूतवूर्व फ़ैसला है।

ग़ौरतलब है कि पिछले साल अक्तूबर में पत्रकार जमाल ख़ाशोक़जी की निर्मम हत्या के बाद मानवाधिकारों के हनन को लेकर सऊदी अरब काफ़ी दबाव में है।

बुधवार को ऑस्ट्रियाई सरकार ने क़ुरैरिस की मौत की सज़ा पर विरोध दर्ज कराते हुए कहा था कि वह वियना में सऊदी अरब के धार्मिक वार्ता के केन्द्र को बंद कर रही है।

अप्रैल में ही सऊदी अरब में 37 राजनीतिक क़ैदियों के सिर क़लम किए गए थे, जिसमें से अधिकांश शिया मुसलमान थे।

मुर्तज़ा पर आरोप है कि 10 वर्ष की आयु में उसने सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लिया, हालांकि उसके परिजनों का कहना है कि उसने अपने भाई के अंतिम संस्कार में भाग लिया था, जिसकी 2011 में सरकार विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई थी।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, मनेस्टी इंटरनेश्नल की रिपोर्ट के मुताबिक़, गिरफ़्तारी के पांच साल बाद तक मुर्तज़ा से किसी को मिलने तक नहीं दिया गया, यहां तक कि उसके वकील को भी मुलाक़ात की अनुमति नहीं दी गई।

रिपोर्ट के मुताबिक़, मुर्तज़ा को जेल में तनहा एक काल कोठरी में रखा गया और पूछताछ के दौरान शारीरिक एवं मानसिक यातनाएं दी गईं। पूछताछ करने वाले पुलिस अधिकारियों ने उससे वादा किया था कि अगर वह अपने ख़िलाफ़ लगे आरोपों को स्वीकार कर लेगा तो उसे आज़ाद कर दिया जाएगा।