अल-जज़ीरा टीवी चैनल से बात करते हुए हिजाज़ी ने कहा, सऊदी अरब को यमन युद्ध में अब तक कम से कम 800 अरब डॉलर का नुक़सान हो चुका है
अल-जज़ीरा टीवी चैनल ने यमन युद्ध में सऊदी अरब को होने वाले आर्थिक नुक़सान का अनुमान लगाया है।
Donald #Trump sold $8 billion worth of arms to #Saudi Arabia. The Saudi-led war in #Yemen that has 20 million civilians starving has been enabled by the weapons Trump sold to the Kingdom. Trump did so while overlooking the dismembering of a U.S. resident. https://t.co/RuUREL4RyQ pic.twitter.com/YQedSTceqh
— Yemen Eye (@YemenEye1) October 4, 2019
लेबनान के लेखक व विश्लेषक अली हिजाज़ी का मानना है कि सऊदी अरब सैन्य शक्ति में ईरान के मुक़ाबले में कहीं नहीं ठहरता है, इसलिए कि हौसियों से लड़ते हुए उसे पांच साल होने वाले हैं, लेकिन इस युद्ध में खोने के अलावा उसने कुछ नहीं पाया है और वह मध्यपूर्व के सबसे ग़रीब देश को नहीं हरा सका है, जिसके पास एक व्यवस्थित सेना तक नहीं है।
It now confirmed — with video — that #Houthi forces have defeated a large Saudi force in Najran province and captured thousands of them. It's a huge #Saudi defeat that could tip the balance in the government against continuing the war against #Yemen. https://t.co/dMGWpyFvCY
— Gareth Porter (@GarethPorter) October 1, 2019
अल-जज़ीरा टीवी चैनल से बात करते हुए हिजाज़ी ने कहा, सऊदी अरब को यमन युद्ध में अब तक कम से कम 800 अरब डॉलर का नुक़सान हो चुका है।
उन्होंने कहा, 2014 में सऊदी अरब के पास फ़ॉरेन एक्सचेंज के रूप में 787 अरब डॉलर थे, जो 2017 में घटकर सिर्फ़ 487 अरब डॉलर रह गए। इसी तरह से 2019 की पहली छमाही में व्यापार सरप्लस भी 4.9 प्रतिशत घटकर 4 अरब डॉलर रह गया।
#Yemen: Imminent agreement to hand over Aden to Saudi Arabia https://t.co/zKHJHdzwuf
— Middle East Monitor (@MiddleEastMnt) October 8, 2019
पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, हिजाज़ी का कहना था 26 मार्च 2015 में यमन के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने के बाद अब तक 500 बड़ी सऊदी कंपनियों का दीवालिया निकल चुका है। इसी तरह से सऊदी सरकार ने बड़े पैमाने पर ख़र्चों में कटौती की है।
जहां सऊदी अरब ने यमन के आधारभूत ढांचे को नष्ट करने और 1 लाख 25 हज़ार बच्चों समेत लाखों लोगों का जनसंहार करने और उन्हें भूखा मारने पर अरबों डॉलर ख़र्च किए तो वहीं यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन ने केवल कुछ लाख डॉलर ही ख़र्च किए हैं।
सऊदी अरब और उसके सहयोगियों ने यमन की घेराबंदी कर रखी है, जिसके कारण इस देश में लाखों लोग भुखमरी का शिकार हुए और एक ऐसी त्रासदी ने जन्म लिया जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने इतिहास की सबसे भयानक त्रासदी क़रार दिया है।
सऊदी अरब ने अमरीका और पश्चिमी देशों से ख़रीदे गए अरबों डॉलर के बम यमनी जनता के सिर पर बरसाए हैं, जिससे इन देशों में लाखों रोज़गार उत्पन्न हुए लेकिन सऊदी अरब का ख़ज़ाना ख़ाली हो गया।