क्या सऊदी अरब से रिश्ते खराब हो गये हैं पाकिस्तान के?

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कूटनीति का सबसे बड़ा मकसद विश्व मंच पर अपने देश की छवि को चमकाना और उसे संभावित संकटों से बचाना होता है। 

 

लेकिन क्या हुआ कि पाकिस्तान के सबसे बड़े राजनयिक ने अपने ही देश को फंसा दिया?

 

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी जब भी मुंह खोलते हैं, तो लगता है कि मुंह में मिश्री रखकर बोल रहे हैं। बात दोस्ती की कर रहे हों या फिर दुश्मनी की, उनकी जुबान से इतनी नफासत टपकती है कि लगता है कि ये आदमी तो बस डिप्लोमैसी के लिए ही बना है।

 

लेकिन कभी कभी जुबान धोखा दे जाती है। इसने ना जाने कितनों को फंसाया है। शाह महमूद कुरैशी को भी फंसा दिया।

 

पाकिस्तानी विदेश मंत्री की जुबान एक टीवी इंटरव्यू में फिसली और मुद्दा था कश्मीर का वह इस बात से बहुत खफा थे कि मुस्लिम देशों का संगठन ओआईसी कश्मीर पर उनके देश का वैसा समर्थन नहीं कर रहा है, जैसा वे चाहते हैं।

 

पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर मुद्दे पर ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग कर रहा है। लेकिन लगता है कि एक दो रस्मी बयान के अलावा ओआईसी भारत और पाकिस्तान के इस झगड़े में ज्यादा नहीं पड़ना चाहता।

 

ओआईसी दुनिया के 56 मुस्लिम देशों का संगठन है. सऊदी अरब के जेद्दाह शहर में इसका मुख्यालय है। और आप यह मान सकते हैं कि सऊदी अरब की मर्जी के बिना ओआईसी में पत्ता नहीं हिलता।  तो जब शाह महमूद कुरैशी टीवी इंटरव्यू में ओआईसी को निशाना बना रहे थे, तो दरअसल उनके निशाने पर सऊदी अरब ही था।

 

पाकिस्तानी विदेश मंत्री इस कदर भावनाओं में बह गए कि वह सब भी कह गए जो कहने से पहले पाकिस्तान का कोई और विदेश मंत्री सौ बार सोचता।

 

पाकिस्तान के जाने माने टीवी एंकर काशिफ अब्बासी के साथ इंटरव्यू में शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि “वक्त आ गया है कि ओआईसी बच बचाव, आंखमिचौली से बाहर निकले।

 

इस पर काशिफ अब्बासी ने उन्हें टोककर कहा, “शाह जी ये आपने बहुत बड़ी बात कर दी। लेकिन शाह जी, यहीं नहीं रुके।

 

उन्होंने कहा कि अगर सऊदी अरब पाकिस्तान का साथ नहीं देता है, तो ” मैं इमरान खान से कहूंगा अब और इंतजार नहीं हो सकता, हमें आगे बढ़ना होगा। ” पत्रकार ने फिर पूछा, “सऊदी अरब के साथ या उसके बिना। ” जवाब आया, “विद और विदाउट।

 

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी