2019 के आरंभिक 6 महीने में सऊदी अरब में मृत्युदंड दिये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या दोगुना हो गयी है।
मोहम्मद बिन सलमान ने सऊदी युवराज बनने के बाद कहा था कि इस देश में मृत्युदंड दिये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या में कमी की जायेगी परंतु उनका यह कथन केवल ज़बान की सीमा तक था और व्यवहारिक रूप से इसका उल्टा हुआ है यानी मृत्युदंड पाने वाले व्यक्तियों की संख्या में ध्यान योग्य वृद्धि हो गयी है।
इसी संबंध में सऊदी अरब में मानवाधिकार की स्थिति के बारे में यूरोप के मानवाधिकार आयोग ने घोषणा की है कि वर्ष 2019 के आरंभिक 6 महीनों में सऊदी अरब में मृत्युदंड दिये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या गत पांच वर्षों में मृत्युदंड दिये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या से अधिक है इस प्रकार से कि वर्ष 2018 के आरंभिक 6 महीनों में 55 व्यक्तियों को मृत्युदंड दिया गया जबकि वर्ष 2019 के आरंभिक 6 महीनों में 122 व्यक्तियों को मृत्युदंड दिया गया।
महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि सऊदी अरब में जिन लोगों को मृत्युदंड दिया जाता है उनमें से आधे राजनीतिक बंदी होते हैं और उन्हें राजनीतिक कारणों से फांसी दी जाती है। यही नहीं जिन लोगों को राजनीतिक कारणों से फांसी दी जाती है उसके औचित्य में कहा जाता है कि आतंकवाद से मुकाबले के तहत इन लोगों को फांसी दी गयी है।
पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, सऊदी अरब में जो राजनीतिक बंदी हैं वे केवल शीया नहीं हैं हां जो राजनीतिक बंदी हैं उनमें सबसे अधिक शीया हैं और अधिकतर शीया बंदियों को ही मौत की सज़ा दी जाती है।
सऊदी अरब में मृत्युदंड दिये जाने वालों में विदेशी नागरिक भी शामिल हैं और पिछले 6 महीनों के दौरान 57 विदेशी नागरिकों को मृत्यु दंड दिया गया। इस संबंध में एक अन्य रोचक बात यह है कि जिन लोगों को मृत्युदंड दिया जाता है न्यायपूर्ण ढंग से उन पर मुकद्दमा भी नहीं चलाया जाता।
जिन लोगों को मृत्युदंड या जेल की सज़ा दी जाती है उनमें से अधिकांश को सही तरह से यह तक नहीं बताया जाता है कि उन्हें किस अपराध में फांसी की सज़ा दी जा रही है। दूसरे शब्दों में सऊदी अरब की अदालत पूरी तरह तानाशाही सरकार के दिशा- निर्देशन में काम करती है।