इजराइली लेखक का दावा- ‘सऊदी अरब जल्द इस मुस्लिम देश पर हमला करेगा’

   

पूर्वी मामलों के इस्राईली विशेषज्ञ, ” शाऊल एनाई” का कहना है कि सऊदी अरब, अमरीका को छोड़ कर आगे के चरण के बारे में सोच रहा है। उनका कहना था कि रियाज़, वाशिंग्टन से आगे बढ़ कर एक नया गठबंधन बनाने पर काम कर रहा है जैसा कि उसने मिस्र, जार्डन और सूडान जैसे देशों के साथ मिल कर लाल सागर गठबंधन बनाया है।

इस इस्राईली विशेषज्ञ ने बल दिया है कि सऊदी अरब, सूडान में ईरान के प्रभाव को कम करने में सफल रहा है जबकि ईरान का मुख्य उद्देश्य, लाल सागर में जहाज़ों के आवागमन के लिए बेहद महत्वपूर्ण, बाबुल मन्दब स्ट्रेड पर क़ब्ज़ा है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, इस्राईली संचार माध्यमों में बहुत दिनों से यह रिपोर्ट आ रही थी कि ईरान ने एरिट्रिया में सैन्य अड्डा बना लिया है जिसकी वजह से उसके लिए बाबुल मन्दब स्ट्रेट के निकट रहना संभव हो गया है जबकि अमरीकी रिपोर्टों में बताया गया है कि एरिट्रिया में इस्राईल के कई सैन्य ठिकाने हैं।

इसके साथ ही यह भी अच्छी बात है कि अरब देशों के इस्राईल के साथ संबंध अच्छे हो गये हैं और अब उनके लिए फिलिस्तीन का मुद्दा सब से बड़ा मुद्दा नहीं रहा है।

इस्राईली टीकाकार ” शाऊल एनाई” लिखते हैं कि इस समय भी सऊदी अरब में कई इस्राईली कंपनियां काम कर रही हैं जबकि सन 1970 से इस्राईली उत्पादन फार्स की खाड़ी के देशों को निर्यात किये जा रहे हैं जबकि इस्राईली लोग, बहुत पहले से इन देशों में सक्रिय रहे हैं।

सऊदी अरब और ईरान, दोनों ही देशों में उदारवाद का चरण खत्म हो गया और दोनों ही देशों में इस्लाम को बेहद महत्व दिया जाता है और धर्म व राजनीति को एक समझा जाता है यही वजह है कि दोनों देशों के धार्मिक नज़रिये में दूसरे देश के धर्म को गलत कहा जाता है।

इसके साथ ही सऊदी अरब और ईरान की सत्ता के गलियारों में मौजूद लोगों का यह विचार है कि मध्य पूर्व पर अमरीकी वर्चस्व का समय बीत चुका है और यह वह चीज़ है जिसे ईरान बहुत पहले ही समझ चुका था जिसकी पुष्टि आयतुल्लाह खुमैनी के इस नारे से होती है कि ” न पूरब न पश्चिम, बल्कि इस्लामी गणतंत्र ” क्योंकि उन्हें पता था कि इस नारे से ईरान में इस्लामी क्रांति सफल हो जाएगी।

दूसरी तरफ सऊदी अरब की हमेशा यही इच्छा रही कि मध्य पूर्व में अमरीका का हस्तक्षेप जारी रहे लेकिन ज़मीनी सच्चाई सऊदी अरब की इस इच्छा के अनुसार नहीं इसी लिए रियाज़ अब उस दिन की तैयारी कर रहा है जब उसे अमरीकी मदद के बिना ही ईरान के नेतृत्व में शिया गठबंधन से टकराना पड़े।