सऊदी अरब में महिलाओं को दी जाने वाली आज़ादी का मतलब?

   

सऊदी अरब ने महिलाओं को अधिक अधिकार और स्वतंत्रता देने के लिए कानूनों में संशोधन किया है। अब महिलाओं को विदेश जाने के लिए पुरुष अभिभावकों की अनुमति नहीं लेनी होगी।

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, सरकार ने घोषणा की है कि देश की व्यस्क महिलाओं को पुरुष अभिभावक की अनुमति के बिना पासपोर्ट प्राप्त करने और यात्रा करने की इजाजत दी जाएगी।

हालांकि आलोचकों का कहना है कि जब तक कि पुरुष “संरक्षण” प्रणाली पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाती, यह संशोधन सिर्फ दिखावा है।

सऊदी अरब सरकार के आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित फैसले में कहा गया है कि 21 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी नागरिक जो पासपोर्ट के लिए आवेदन करता है, उसे जारी किया जाना चाहिए।

उन्हें यात्रा करने के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। इस संशोधन में किसी लिंग का उल्लेख नहीं किया गया है। आधिकारिक राजपत्र उम अल कुरा में लिखा है, आवेदन करने वाले किसी भी सऊदी नागरिक को पासपोर्ट दिया जाएगा।

नए नियम महिलाओं को बच्चे के जन्म, विवाह या तलाक को पंजीकृत करने और पारिवारिक दस्तावेज जारी करने का अधिकार प्रदान करते हैं। नाबालिग बच्चों के अभिभावक के रूप में भी महिलाओं को मान्यता दी गई है।

नए नियम से महिलाओं के लिए काम के अवसर भी बढ़े हैं. सऊदी अरब में लंबे समय से महिलाओं को शादी, यात्रा और कई अन्य चीजों के लिए अपने पुरुष “अभिभावकों” (पति, पिता और अन्य पुरुष रिश्तेदारों) से अनुमति लेनी जरूरी होती है।

सऊदी अरब में 2018 में मिला महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार
ऐसी पाबंदियों के चलते पूरी दुनिया की नजरें अकसर सऊदी में महिलाओं की स्थिति पर टिकी है।

सऊदी अरब के शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सामाजिक प्रतिबंधों में ढील देते हुए उदारवादी सुधारक के रूप में अपनी छवि को चमकाने की कोशिश में है।

पिछले साल उन्होंने महिलाओं के गाड़ी चलाने पर लगी रोक हटाने और उन्हें पुरुषों के साथ मनोरंजन की अनुमति देने जैसे फैसले लिए हैं। हालांकि, इन सब सुधारों के बीच संरक्षण प्रणाली अब भी बनी हुई है।

आलोचकों का कहना है कि टुकड़े-टुकड़े में सुधार एक सत्तावादी व्यवस्था द्वारा किए जाते हैं जो असंतोषों को दूर करते हैं। 2017 और 2018 में सऊदी अरब में कुछ महिलाओं ने गाड़ी चलाते हुए सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ा।

इनमें से कुछ महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद सऊदी शासन की आलोचना हुई। गिरफ्तार महिलाओं में से कुछ ने दावा किया था कि उन्हें प्रताड़ना और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा।

हाल के समय में जर्मनी सहित विदेशों में शरण मांगने वाली सऊदी युवतियों के कई मामले सामने आए हैं। ज्यादातर मामलों में देश से भागी महिलाओं का आरोप है कि परिवार के मर्द उनका दमन कर रहे हैं, जिससे बचने के लिए ही वे भागी हैं।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसी आलोचनाओं से बचने के लिए भी सऊदी क्राउन प्रिंस सुधारों का सहारा ले रहे हैं। वे दिखाना चाहते हैं कि युवा क्राउन प्रिंस सऊदी अरब के रुढ़िवादी समाज को बदलने की कोशिश में हैं।

नए संशोधन के बावजूद कई तरह के प्रतिबंध जारी रहेंगे। यदि कोई महिला शादी करना चाहती है या महिला आश्रय गृह छोड़ना चाहती है तो उसे अपने पुरूष अभिभावक से अनुमति लेनी जरूरी होगी।

ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली सऊदी फेमनिस्ट रेगिना नस्र ने इस महीने की शुरूआत में कहा था कि क्राउन प्रिंस का सुधार वास्तव में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तसल्ली देने का एक प्रयास है।