नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन का आज 22वां दिन है।
ज़ी बिजनेस हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, एक तरफ जहां किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर डटे हुए हैं, वहीं आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
सुप्रीम कोर्ट कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने की मांग संबंधी दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
कोर्ट ने इस मामले में केन्द्र , हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया था।
आंदोलन करने का हकमामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह किसानों के प्रदर्शन करने के अधिकार को स्वीकार करती है और किसानों के ‘राइट टू प्रोटेस्ट’ के अधिकार में कटौती नहीं कर सकती है।
चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि किसान अपना प्रदर्शन भी करे और लोगों के अधिकारों का उलंघन भी न हो।
उन्होंने कहा कि कोई भी विरोध तब तक संवैधानिक है जब तक कि वह किसी संपत्ति को नष्ट नहीं करता और किसी के जीवन को खतरे में नहीं डालता।
कोर्ट ने कहा कि केंद्र और किसानों को आपस में बात करनी होगी।
कमेटी के गठन की सिफारिशकोर्ट ने कहा कि वह हम एक निष्पक्ष और स्वतंत्र समिति के बारे में विचार कर रहा है, जिसके सामने दोनों पक्ष अपनी बात रख सकते हैं।
इस समिति में पी. साईंनाथ, भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान संगठनों के सदस्य हो सकते हैं।