10 मई को भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ ने डॉ. कफील खान के निलंबन के संबंध में जांच को समय पर समाप्त करने का आदेश दिया है। साथ ही खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को निर्देश दिया है कि डॉ. कफील खान को देय सभी निर्वाह भत्तों का भुगतान करने को कहा है।
SC orders UP government to pay dues to Dr Khan
SC orders UP government to honour the Allahabad HC order which had on 7th March 2019 asked UP govt to conclude departmental inquiry against Dr Khan within 90 days https://t.co/A3FwSYA0kQ
— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) May 10, 2019
डॉ. कफील की तरफ से उनका केस वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री मीनाक्षी अरोड़ा और फ़ुजैल अहमद अय्युबी कर रहे हैं। डॉ. कफील खान ने सुप्रीम कोर्ट के सामने खड़े होकर एक वीडियो बनाया है जिसमें वे कोर्ट के आदेश के बारे में बता रहे हैं। इस वीडियो को उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है।
Today a division Hon'ble supreme court has ordered enquiry in my suspension to be concluded timely and directed @myogiadityanath to pay all subsistence allowance payable to me.
I am thankful to Sr. Adv. Meenakshi Arora, @fuzail_ayyubi sir & @imibad.@PTI_News @SidharthNSingh pic.twitter.com/4Z7jcYIauY— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) May 10, 2019
इस वीडियो में डॉ. कफील खान कह रहे हैं कि योगी सरकार को मुकदमे में तेजी लानी होगी और उन्हें 20 महीने से लंबित निर्वाह भत्ते का भुगतान करना होगा। वीडियो में उन्होंने कहा कि योगी सरकार चाहती है कि मामला निलंबित रहे, ताकि असली दोषियों के खिलाफ जांच न हो। उन्होंने दो डॉक्टरों का नाम लिया और कहा कि 10% कमीशन के लालच ने 70 बच्चों को बीआरडीओ अस्पताल में मार दिया। रोजे के दौरान राहत देने के लिए उन्होंने सर्वोच्च अदालत का शुक्र अदा किया।
15 मार्च को ट्विटर पर एक अभियान की शुरूआत हुई थी जिसमें डॉ. कफील खान का निलंबन वापस लेने की मांग की गई थी। इस कैंपेन में डॉ कफील कहते नजर आए थे कि “18 महीने हो गए हैं और मैं अभी भी निलंबित हूं। भले ही उच्च न्यायालय ने मुझे क्लीन चिट दे दी है, लेकिन योगी सरकार न तो मेरे निलंबन को निरस्त कर रही है और न ही मुझे सेवा दे रही है।” उन्होंने अभियान की घोषणा करते हुए कहा कि उन्हें ऐसे अपराध के लिए दंडित किया जा रहा है जो उन्होंने नहीं किया था और उन्हें जनता के समर्थन की जरूरत है।
अगस्त 2017 में गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी से हुई 60 बच्चों की मौत मामले में डॉ कफील समेत नौ लोग आरोपी हैं। हालांकि, हादसे के बाद सोशल मीडिया पर डॉ कफील हीरो की तरह सामने आए। लेकिन बाद में उन्हीं के ऊपर लापरवाही का आरोप लगा और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई।
इस घटना के बाद आरोप लगा कि बच्चों की मौतें ऑक्सिजन की सप्लाई कंपनी को भुगतान नहीं हुआ था। इस कारण कंपनी ने अस्पताल में ऑक्सिजन पहुंचाना बंद कर दिया था। हालांकि सरकार इस बात से इनकार करती रही है। इस मामले में ऑक्सिजन सप्लाई कंपनी के मालिक और मेडिकल कॉलेज के प्रचार्य समेत नौ अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया था।
साभार- hindi.sabrangindia.in