पूर्व आइएएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के अभद्र भाषा मामले में दिल्ली हिंसा पीड़ितों को हस्तक्षेप करने की अनुमति देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है।
जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि दंगा पीड़ित हर्ष मंदर मामले में हस्तक्षेप करना चाहते हैं, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होनी है।
इस पर मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे ने वरिष्ठ वकील से कहा कि हम आपको इसकी इजाजत नहीं देंगे। इस पर वकील ने कहा कि उन्होंने भी हर्ष मंदर द्वारा कथित भाषण का वीडियो देखा था और इसे रिकॉर्ड पर रखना चाहते थे।
इससे पहले प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को कहा कि हाई कोर्ट हिंसा मामले पर सुनवाई कर रहा है ऐसे में उन्हें इसमें दखल देने की जरूरत नहीं लगती।
हालांकि कोर्ट ने माना कि हाई कोर्ट का इतने लंबे समय तक सुनवाई टालना उचित नहीं था। पीठ ने हाई कोर्ट से मामले पर 13 अप्रैल की जगह छह मार्च यानी शुक्रवार को ही सुनवाई करने को कहा। शीर्ष अदालत ने जल्द से जल्द मामले का मेरिट के आधार पर निपटारा करने को भी कहा है।
दिल्ली पुलिस ने पूर्व नौकरशाह हर्ष मंदर के खिलाफ हलफनामा दायर कर उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाने की मांग की गई है।
दिल्ली पुलिस लीगल सेल के उपायुक्त राजेश देव द्वारा दायर हलफनामे में मंदर पर सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि हर्ष मंदर का यह वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर उपलब्ध है।