शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने की याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट मेंसुनवाई हुई।
भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा कि प्रदर्शन करना लोगों का अधिकार है, लेकिन इससे सड़क बंद नहीं होनी चाहिए।
इसके बाद अदालत ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े को मध्यस्थ नियुक्त कर दिया। एडवोकेट साधना रामकृष्णन इसमें उनकी मदद करेंगी।
प्रदर्शनकारियों के वकील ने कहा कि स्कूल बसों और एंबुलेंसों के लिए रास्ता खुला है, तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता टोकते हुए बोलेकि रास्ता पूरी तरह बंद है।
हमें प्रदर्शनकारियोंसे बात करने के लिए जिम्मेदार प्रतिनिधि की जरूरत है। प्रदर्शन के बहाने पूरे शहर को बंदी नहीं बनाया जा सकता।इस पर बेंच ने एडवोकेट संजय हेगड़े कोबातचीत में मध्यस्थ तय कर दिया।
अदालत ने कहा- प्रदर्शन में संतुलन जरूरी है, वरना अराजकता पैदा हो सकती है। प्रदर्शनकारियों ने अपना पक्ष रख दिया है। अगर बातचीत से हल नहीं निकलता है, तो हमें अधिकारियों से इस स्थिति से निपटने के लिए कहना होगा।
लोकतंत्र अभिव्यक्ति की आजादी पर काम करता है, लेकिन उसकी भी सीमाएं हैं। प्रदर्शन लोगों का मौलिक अधिकार है, लेकिन हम सड़कों के बंद होने से परेशान हैं।
बेंच ने कहा- हम सिर्फ यह चाहते हैं कि आप प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक जगह खोजें, जहां सड़कें ब्लॉक न हों। इसके बाद जस्टिस कौल ने प्रदर्शन के लिए लाल किला या रामलीला मैदान का सुझाव दिया।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पिछली सुनवाई दिल्ली चुनाव से पहले हुई थी। उस समय अदालतने कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था।
कोर्ट ने कहा था कि प्रदर्शन निर्धारित स्थान पर ही किया जाना चाहिए। लेकिन, इस मामले में दूसरे पक्ष को सुनना जरूरी है, इसलिए तुरंत कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था।
दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले 50 दिनों से सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है। इसके चलते वहां मुख्य सड़क पर आवाजाही बंद है। इलाके का ट्रैफिक डाइवर्ट किए जाने से लोगों को हो रही परेशानी के खिलाफ वकील अमित साहनी और भाजपा नेता नंदकिशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
वहीं, प्रदर्शन के दौरान 4 माह के बच्चे की मौत पर बहादुरी पुरस्कार प्राप्त छात्रा जेन गुणरत्न सदावर्ते ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी थी। कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया था।
दिल्ली में सीएए और एनआरसी के खिलाफ शाहीन बाग इलाके में 15 दिसंबर से महिलाओं और बच्चों समेत सैकड़ों लोग धरने पर बैठे हैं। 2 फरवरी को पहली बार शाहीन बाग के धरनों के विरोध में स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किए।
इनकी मांग थी कि धरने पर बैठे लोगों ने नोएडा और कालिंदी कुंज को जोड़ने वाली सड़क पर कब्जा कर रखा है। इसकी वजह से लोगों को आने-जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।