क्या यूपी में शिवपाल यादव संग ओवैसी की होगी गठबंधन?

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यूपी विधानसभा चुनाव में अभी एक साल का समय है लेकिन सियासी गठजोड़ शुरू हो चुके है। एक तरफ सपा और बसपा जहां अकेले दम पर मैदान में उतरने का दम भर रहे हैं तो कभी योगी सरकार में मंत्री रहे ओम प्रकाश राजभर अलग मोर्चा बनाकर यूपी की सत्ता हासिल करने की कोशिश में जुटेे है।

पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, उनकी इस प्रयास को उस समय पर लग गया जब आजमगढ़ के माहुल में पहले से भागीदारी संकल्प मोर्चे में शामिल हो चुके एआईएमआईएम चीफ ओवैसी से शिवपाल की मुलाकात हुई।

करीब एक घंटे दोनों ने बंद कमरें में गुफ्तगू की फिर शिवपाल यादव ने मोर्चे में शामिल होने का संकेत देकर सियासत को नई हवा दे दी।

यह अलग बात है कि उन्होंने अखिलेश यादव के सामने प्रसपा से गठबंधन का विकल्प खुला रखा। यह सियासी गठजोड़ क्या गुल खिलाएगी यह तो समय बतायेगा लेकिन सियासत पूरी तरह चरम पर दिख रही है।

बता दें कि पूर्वांचल को यूपी की सत्ता की सीढ़ी कहा जाता है। यहां की करीब 123 सीटों पर हमेंशा से राजनीतिक दलों की नजर रही है।

खास बात है कि पूर्वांचल जीतने वाला ही पिछले दो दशक से सत्ता का सुख भोगता रहा है। चाहे मायावती ने 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी हो या फिर 2012 में अखिलेश यादव ने, दोनों को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में पूर्वांचल की बड़ी भूमिका थी।

वर्ष 2017 में बीजेपी ने पूर्वांचल में बड़ी जीत हासिल की तो सत्ता का सूख भोग रही है। अब चुनाव में सिर्फ एक साल बचा है और सत्ता हासिल करने के लिए सभी अपनी गोटी सेट करने में लगे है।


वैसे इस बार का चुनाव पिछले वर्षो से इतर होता दिख रहा है। कारण कि तीन दशक से सपा, बसपा या फिर भाजपा के बीच संघर्ष होता रहा है।

दलित पर बसपा, यादव-मुस्लिम मतदाता पर सपा और अन्य पर भाजपा दावा करती रही है लेकिन शनिवार को शिवपाल के संकेत ने नए सियासी समीकरण की उम्मीद जगा दी है।

ओवैसी से बातचीत के बाद शिवपाल ने संकल्प भागीदारी मोर्चा में शामिल होने का संकेत दिया। शिवपाल की नजर पूर्वांचल के यादव मतों पर है।

वे सपा के कई मजबूत यादव नेताओं को तोड़कर प्रसपा में शामिल करने में सफल रहे हैं। वहीं ओवैसी का दावा मुस्लिम मतदाताओं पर है।

बिहार में एआईएमआईएम की जीत जीत के बाद पूर्वांचल का मुस्लिम उत्साहित है।

यहीं वजह है कि ओवैसी के समर्थक लगातार बढ़ रहे है। वहीं ओमप्रकाश राजभर का दावा राजभर मतों पर पर है जिनकी संख्या पूर्वांचल में 10 प्रतिशत के आसपास है।

अगर यह गठबंधन होता है तो निश्चित तौर पर बाकी दलों की मुश्किल बढ़ेगी।

खासतौर पर सपा और बसपा की। वैसे शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव के सामने गठबंधन का विकल्प छोड़ एक नया सगूफा भी छोड़ दिया है लेकिन वह चाहते हैं कि बीजेपी को हटाने के लिए अखिलेश यादव सिर्फ उनसे ही नहीं बल्कि सभी छोटे दल जो गैर सांप्रदायिक है उनसे गठबंधन करें।

साथ ही उन्होंने सपा में विलय की संभावनाओं से पूरी तरह इनकार कर दिया।

बैठक के बाद जाते-जाते शिवपाल यादव ने कहा कि हमारी मुलाकात ओवैसी हुई है, मैं पहले भी बोल चुका हूं कि समान विचारधारा के लोग और सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एक साथ आकर भाजपा को प्रदेश व देश से उखाड़ फेंकना चाहिए। इस समय यह जरूरत भी है।

मैंने अखिलेश से भी यही कहा कि सबको जोड़ें। शिवपाल यादव ने यह भी कहा कि हम सपा में विलय नहीं करेंगे। अखिलेश के रूख से साफ है कि उनका प्रसपा के गठबंधन शायद ही संभव हो।