संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते दो दशकों में भारत में तलाक के मामले दोगुने बढ़ गए हैं। इस कारण देश में सिंगल मदर यानी अकेली माओं की तादाद भी बढ़ रही है।
संयुक्त राष्ट्र की ओर से इस सप्ताह जारी “प्रोग्रेस ऑफ द वर्ल्ड्स विमेन 2019-2020 – फेमिलीज इन ए चेंजिंग वर्ल्ड” शीर्षक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में महिलाओं के अविवाहित रहने के मामले बेहद कम हैं।
45 से 49 वर्ष की उम्रवर्ग वाली ऐसी महिलाओं की तादाद एक फीसदी से भी कम है जिन्होंने कभी शादी नहीं की। लेकिन बीते दो दशकों के दौरान तलाक के मामले दोगुने बढ़ गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते मामलों के बावजूद महज 1.1 फीसदी महिलाएं ही तलाकशुदा हैं। इनमें भी शहरों में रहने वाली महिलाओं की तादाद ज्यादा है।
इस वजह से अकेली माओं वाले परिवारों की तादाद बढ़ रही है। इसमें कहा गया है कि बीते दो दशकों के दौरान महिलाओं के अधिकार बढ़े हैं। लेकिन बावजूद इसके परिवारों में मानवाधिकार उल्लंघन और लैंगिक असमानता के मामले जस के तस है।
यह रिपोर्ट बताती है कि देश के विभिन्न हिस्सों में शादी की उम्र बढ़ी है। लेकिन जन्मदर में गिरावट आई है और साथ ही महिलाएं आर्थिक रूप से पहले से ज्यादा स्वायत्त हुई हैं।
इसमें कहा गया है कि महिला अधिकारों की बेहतरी के बावजूद कई मामलों में महिलाओं की स्थिति जस की तस है। उनको अब भी पारिवारिक समेत कई मामलों में फैसले में अपनी राय देने का अधिकार नहीं है।
अगर वे ऐसा करती भी हैं तो उनकी राय को खास तवज्जो नहीं दिया जाता। उनको अपने पति की मर्जी के हिसाब से विस्थापन का शिकार होना पड़ता है।
रिपोर्ट में नीति निर्धारकों, महिला अधिकार संगठनों और समाज के तमाम तबकों के लोगों से परिवारों को समानता और न्याय के ऐसे मंच में बदलने की अपील की गई है जहां महिलाएं अपनी पसंद-नापसंद खुल कर बता सकें और उनकी आवाज को समुचित तवज्जो मिले। इसके साथ ही उनको शारीरिक और आर्थिक सुरक्षा का अहसास भी हो।
साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी