सिंगापुर के एक सरकारी अस्पताल में हर दिन काम शुरू करने से पहले फराह को अपना हिजाब उतारना पड़ता है। उन्हें ऐसा करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता क्योंकि वह किशोरावस्था से ही हिजाब पहन रही हैं।
सिंगापुर की 40 लाख की आबादी में 15 प्रतिशत मुसलमान हैं और बहुत सारी जगहों पर मुस्लिम महिलाएं बिना रोकटोक हिजाब पहन सकती हैं।
लेकिन कुछ पेशों में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं है। एक हालिया मामले के बाद सिंगापुर में कार्यस्थल पर विविधता और भेदभाव को लेकर बहस तेज हो गई है।
अब सिंगापुर में बहुत से युवा हिजाब के खिलाफ बैन को हटाने की मांग कर रहे हैं। फराह भी इनमें शामिल हैं। उन्होंने एक ऑनलाइन मुहिम शुरू की है और वे 50 हजार लोगों के हस्ताक्षर जुटा रहे हैं।
दो साल पहले अपने जॉब इंटरव्यू को याद करते हुए फराह बताती हैं, उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं हिजाब पहनूंगी तो मैं उनके यहां काम नहीं कर सकती।
अब वह इसी अस्पताल में बतौर फिजियोथेरेपिस्ट काम करती हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें काम के दौरान अपना हिजाब छोड़ना पड़ा।27 साल की फराह कहती हैं, मैंने खुद को लाचार महसूस किया। यह ठीक नहीं है। हिजाब हमारी नौकरी के रास्ते में बाधा क्यों बनना चाहिए।
फराह जैसे और भी कई मामले हैं. पिछले महीने उस वक्त विवाद हो गया जब एक महिला से स्थानीय डिपार्टमेंटल स्टोर में प्रमोटर के तौर पर काम करने के लिए अपना हिजाब उतारने को कहा गया।
यह स्थिति तब है जब देश की पहली महिला राष्ट्रपति हलीमा याकूब खुद हिजाब पहनती हैं। जब इस मामले पर उनकी राय पूछी गई तो उन्होंने कहा कि भेदभाव के लिए “कोई जगह नहीं” है।
डिपार्टमेंटल स्टोर ने अपनी पॉलिसी बदल दी। लेकिन बहुत से लोगों ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाया कि कई क्षेत्रों में अब भी कर्मचारियों को हिजाब पहनने से रोका जाता है जैसे कि पुलिसकर्मियों और नर्सों को।
साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी