भाजपा देश में खतरनाक ध्रुवीकरण और सांप्रदायिक वोट बैंक को मजबूत करना चाहती है- माकपा

   

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ(आरएसएस) राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(एनआरसी) की नकल पूरे देश में करने की कोशिश कर रहे हैं।

माकपा ने आरोप लगाया है कि ऐसा कर भाजपा देश में खतरनाक ध्रुवीकरण और सांप्रदायिक वोट बैंक को मजबूत करना चाहती है। पार्टी की दो दिवसीय सम्मेलन के बाद सीताराम येचुरी ने एक पत्रकार वार्ता में यह बयान दिया।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्यों में एनआरसी की मांग की थी, जबकि एनआरसी असम समझौते का हिस्सा था। और असम राज्य के लिए विशेष था।

उन्होंने कहा कि एनपीआर खतरनाक है। इस सरकार ने एनपीआर की तैयारी को पुनर्जीवित किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार इस एनपीआर के आधार पर अखिल भारतीय एनआरसी की तैयारी करने जा रही है।

सीतराम येचुरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने कुछ राज्यों को निरोध केंद्र के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली इमारतों का निर्माण शुरू करने के लिए कहा है।

सीपीआई(एम) की केंद्रीय समिति एनआरसी के असम के बाहर विस्तार का विरोध करती है। येचुरी ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने कुछ राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने यहां इमारतों का निर्माण करें, जिसे डिटेंशन सेंटर बनाया जाएगा।

उन्होंने आरोप लगाया है कि असम का डिटेंशन सेंटर,जहां विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशियों को घोषित किया गया है, वहां बुनियादी सुविधाओं का बेहद अभाव है और वहां मानवाधिकारों के खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यह सभी कवायद गैर जरूरी हैं क्योंकि देश में आधार कार्ड को सार्वभौमिक बना दिया गया है। फोटो पहचान मतदाता सूची वाले ईपीआईसी में देश के सभी मतदाताओं की सूची है, जिसे हर साल नियमित रूप से संशोधित किया जाता है।

असम एनआरसी की बात करते हुए येचुरी ने आरोप लगाया कि असम एनआरसी से अलग पूरे देश मे एक साथ एनआरसी का विस्तार करने की बात, एनपीआर की गणना, निर्वाचक सत्यापन प्रक्रिया द्वारा मतदाता सूची का दोहराव और नागरिकता संशोधन विधेयक पारित करने का आश्वासन, सांप्रदायिक धुर्वीकरण करने की कवायद है।

येचुरी ने कहा कि यह सभी कुछ देश में आरएसएस और भाजपा अपने सांंप्रदायिक वोट बैंक को मजबूत करने के लिए कर रही है ।