संयुक्त किसान मोर्चा ने दिशा रवि की गिरफ्तारी का विरोध जताया!

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किसानों की यूनियनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार को दिल्ली पुलिस द्वारा ‘टूलकिट’ मामले की जांच में 22 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी की निंदा की और उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग की।

पंजाब केसरी पर छपी खबर के अनुसार, एसकेएम ने साथ ही हरियाणा के कृषि मंत्री जे पी दलाल की तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों की मौत को लेकर टिप्पणी की भी निंदा की और चेतावनी दी कि लोग उन्हें इस तरह के ‘‘अहंकार” के लिए एक दिन सबक सिखाएंगे।

एसकेएम नेता दर्शन पाल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, सरकार ने संसद में बेशर्मी से स्वीकार किया कि उसके पास उन किसानों का कोई आंकड़ा नहीं है, जिन्होंने जारी आंदोलन में अपनी जान कुर्बान की।

उन्होंने कहा, एसकेएम ने एक ब्लॉग साइट बनायी है जहां सरकार चाहे तो ऐसा डेटा आसानी से उपलब्ध है। यह वही निष्ठुरता है जिसके परिणामस्वरूप अब तक लोगों की जान गई है।

रवि की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए एसकेएम ने कहा कि वह किसानों के समर्थन में खड़ी थीं। एसकेएम ने बयान में कहा, हम उनकी तत्काल बिना शर्त रिहाई की मांग करते हैं।

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल टीम ने तीन कृषि कानूनों से संबंधित किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर टूलकिट दस्तावेज जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग से साझा करने के लिए रवि को शनिवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया।

पुलिस ने दावा किया कि रवि टूलकिट गूगल दस्तावेज का संपादन करने वाली एडिटर थीं और दस्तावेज को बनाने एवं फैलाने के मामले में मुख्य साजिशकर्ता हैं।

पुलिस ने दावा किया कि रवि और अन्य ने भारत के खिलाफ असंतोष फैलाने के लिए खालिस्तान समर्थक पाएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ मिलकर काम किया।

हरियाणा के करनाल जिले के इंद्री में आयोजित एक महापंचायत में, एसकेएम नेताओं ने चेतावनी दी कि भाजपा के दिन गिने चुने बचे हैं और अधिक से अधिक किसान जाग्रत हो रहे हैं।

उन्होंने कहा, किसानों का धर्म से ऊपर उठकर एकजुट होकर लड़ने का संकल्प सरकार के विभाजन के प्रयासों के बावजूद प्रत्येक महापंचायत के साथ मजबूत हो रहा है। ग्रामीण भारत और कृषि हमारे लिए मुख्य एजेंडा।

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को खत्म करने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी देने की किसानों की मांग के समर्थन में रविवार को शाम 7 से 8 बजे के बीच देश भर के गांवों और कस्बों में कैंडल मार्च का आयोजन किया जा रहा है।

एसकेएम ने कहा कि आने वाले दिनों में अधिक किसानों के विरोध स्थलों में शामिल होने और आंदोलन को औपचारिक रूप से मजबूत बनाने की उम्मीद है।

मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान 80 दिनों से अधिक समय से दिल्ली के बार्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में बैठे रहे हैं। किसान नेताओं और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता के बावजूद गतिरोध जारी है।