देश ने पिछले 9 दिन में अपने 46 वीर सपूत राष्ट्र की वेदी पर न्योछावर कर दिए हैं और पूरा देश आतंकी देश पाकिस्तान की इस कायराना हरकत के बाद गुस्से में हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें हमारे शहीदों की चिंता नहीं है, बल्कि सिर्फ अपनी राजनीतिक और अलगाववाद की दुकान चलने से मतलब है।
ऐसे समय में जहां एक तरफ सारा देश एक सुर में ‘खून का बदला खून’ की आवाज बुलंद कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और अलगाववादियों का खुलेआम समर्थन करने वाली महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान से बातचीत का राग अलाप रही हैं।
Srinagar Magistrate says arrest Arnab Goswami immediately. That too a non bailable warrant. So for questioning Mehbooba Mufti’s corrupt minister who has links with separatists Arnab is going to be arrested. I request all of you to connect the dots…all recent events.
— Major Gaurav Arya (Retd) (@majorgauravarya) February 23, 2019
उनके इस व्यवहार से हर देशभक्त नागरिक को गुस्सा आना स्वाभाविक है। इसी क्रम में रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी 20 फरवरी को बहस कर रहे थे। बहस में एक अलगाववादी नेता इरफान हफीज लोन भी थे।
इरफान ने खुलेआम पाकिस्तान से बातचीत का समर्थन कर अलगाववादियों और स्थानीय आतंकियों एवं पत्थरबाजों की पैरवी करनी शुरू कर दी। इसके बाद एक आम देशभक्त नागरिक की तरह अर्नब गोस्वामी भी इरफान लोन की बातों पर भड़क गए और उन्होंने गुस्से में इरफान लोन को देशद्रोही कह डाला। उ
न्होंने महबूबा मुफ्ती के मंत्री, जिसके अलगाववादियों से संपर्क हैं, उस पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए और कटघरे में खड़ा किया। इसके आगे उन्होंने महबूबा मुफ्ती को भी देशद्रोही कहा। आपको बता दें कि महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री रहते हुए भी देशद्रोही बयान दे चुकी हैं।
अर्नब की डिबेट के बाद इरफान लोन और पीडीपी समर्थकों ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। इसके बाद श्रीनगर के मजिस्ट्रेट ने उनके खिलाफ गिरफ्तार का ग़ैर-जमानती वारंट जारी कर दिया है। क्या देश के समर्थन में बोलना गलत है?
अर्नब ने क्या गलत किया? दिन भर अलगाववादी और महबूबा मुफ्ती जैसे कई नेता सैनिकों और देश के खिलाफ अनाप शनाप बयान देते रहते हैं, उनके खिलाफ तो कोई ग़ैर-जमानती वारंट जारी नहीं होता? अगर उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी भी होता है, तो उन्हें बिना जेल गये जमाने मिल जाती है। यहां एक पत्रकार को सच बोलने के लिए तुरंत गिरफ्तारी के आदेश दे दिए गए।