सिपला के संस्थापक ख्वाजा हमीद की कहानी
जब सिपला ने जेनेरिक दवाओं का उत्पादन शुरू किया तो अमरीका ने उस पर पेटेंट कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया था। उस वक़्त इन्दिरा गांधी मजबूती से सिपला के साथ खड़ी थीं। आज विडम्बना यह है कि वही अमरीका अब भारत से हाड्रोक्सीक्लोरोकुईन की मांग कर रहा है।
नेशनल हेराल्ड में प्रकाशित सुजाता आनंदन की रिपोर्ट का हिन्दी अनुवाद
एक ऐसे समय में जब देश में कुछ मीडिया समूह और भारतीय जनता पार्टी समर्थक भक्तों का एक तबका मुसलमानों को पैशाचिक रूप में प्रस्तुत कर उनके खिलाफ घृणा का माहौल बना रहा है, यह कहानी बहुत सारे लोगों के दिलों को राहत पहुंचाएगी।
बात वर्ष 1920 की है। एक रईस आदमी ने अपने बेटे को बेरिस्टरी की पढ़ाई करने के लिए बंबई से यूनाइटेड किंगडम की ओर जाने वाले जहाज में बैठा कर विदा किया। उस वक़्त देश के अधिकांश सम्पन्न परिवारों में यही प्रचलन था। लेकिन लड़के का दिल कानून की पढ़ाई में नहीं बल्कि रासायनिक विज्ञान में उलझा था, जिसमें उन दिनों कोई भविष्य नहीं माना जाता था।
On the occasion of Dr Khwaja Abdul Hamied's 120th birth anniversary, we are celebrating our #FoundersDay in remembrance of his notable life. pic.twitter.com/D0VGPfQZda
— Cipla (@Cipla_Global) October 31, 2018
लेकिन इस लड़के के पिता ने उसके सामने कोई विकल्प छोड़ा न था। बहरहाल जहाज ने जब बंदरगाह से लंगर छोड़ा उस वक़्त डेक पर खड़े हो कर पिता को विदाई में हाथ हिलाते ख्वाजा अब्दुल हमीद के मन में दूसरी ही उधेड़-बुन चल रही थी। वे बीच राह में इस जहाज से जर्मनी के तट पर उतर गए, जो विगत शताब्दी के उन आरंभिक दशकों में रसायन विज्ञान के अध्ययन के क्षेत्र में अग्रणी देश था। उन्होंने वहाँ से डिग्री हासिल की और एक जर्मन यहूदी और कम्युनिस्ट लड़की (दोनों ही पहचान ऐसी जिनसे नजियों को सबसे ज़्यादा नफरत थी) से शादी कर ली। इससे पहले कि एडोल्फ हिटलर के गेस्टापो उन्हें पकड़ पाते वे दोनों ही जर्मनी से निकल सुरक्षित भारत आ गए।
[1/3] "Never again will India be starved of essential drugs." – Khwaja Abdul Hamied.
This #advertisement of #Cipla (Chemical, Industrial & Pharmaceutical Laboratories) from our #archives is from the #Dawn #newspaper, dated 28 April 1947. #PartitionMuseum @CiplaArchives pic.twitter.com/gu2WVpY7Kx— The Partition Museum (@PartitionMuseum) December 3, 2019