छात्रों को अब धार्मिक पहचान बताने की मजबूरी नहीं होगी!

   

पश्चिम बंगाल ने कॉलेजों में दाखिले के समय धर्म के कॉलम में कई विकल्प दिए हैं। अगले शिक्षण सत्र से तमाम डिग्री और पोस्टग्रेजुएट कालेजों में दाखिला लेने वालों छात्रों के सामने अब धार्मिक पहचान बताने की मजबूरी नहीं होगी।

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, पश्चिम बंगाल के चार दर्जन से ज्यादा कॉलेजों में अब दाखिले के लिए ऑनलाइन भरे जाने वाले फार्म में छात्र हिंदू, मुस्लिम और ईसाई जैसे पारंपरिक धर्मों के अलावा नास्तिक, धर्म पर विश्वास नहीं करने वाला, मानवता और अज्ञेयवादी जैसे विकल्प चुन सकते हैं।

यानी अब उनके सामने अपना असली धर्म बताने की मजबूरी नहीं है। कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में दाखिले के समय धर्म के उल्लेख की अनिवार्यता कोई 26 साल पहले खत्म कर दी थी।

लेकिन वर्ष 2008-09 में फिर दाखिले के फार्म में धर्म का कॉलम शामिल कर लिया गया। हालांकि इसमें अन्य लिखने का भी विकल्प है। छात्रों के अलावा शिक्षाविदों ने भी इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है।

डिग्री कालेज में दाखिला लेने वाले छात्र कुछ समय से दाखिले के समय धर्म का जिक्र करने के औचित्य पर सवाल उठा रहे थे। बीते साल तक इस कॉलम में उनके सामने पारंपरिक धर्मों के अलावा अन्य का विकल्प ही था। लेकिन अब छात्रों के समक्ष कई विकल्प हैं।

उसके बाद राज्य के कई कॉलेजों ने ऑनलाइन आवेदन के समय धर्म के कॉलम में मानवता और नास्तिक जैसे कई विकल्प दे दिए हैं। इनमें कोलकाता के कई प्रतिष्ठित कालेज भी शामिल हैं। महानगर के एक सदी पुराने बेथून कालेज के एक अधिकारी ने बताया कि इससे छात्रों के समक्ष अपना धर्म बताने की मजबूरी नहीं होगी।

अब तक इस कॉलेज में जितने फार्म भरे जा रहे थे उनमें ज्यादातर छात्रों ने खुद को नास्तिक बताया था। इसे ध्यान में रखते हुए कालेज प्रबंधन ने अबकी धर्म के कॉलम में मानवता का विकल्प भी मुहैया कराया गया है।

उत्तर कोलकाता के स्काटिश चर्च कालेज जैसे कई कॉलेजों ने अब धर्म के कॉलम में अज्ञेयवादी, धर्मनिरपेक्ष और अधार्मिक या धर्म पर विश्वास नहीं करने वाला जैसे विकल्प भी मुहैया कराए हैं।

मानवता का विकल्प मुहैया कराने वाले कॉलेजों में मौलाना आजाद कालेज, राममोहन कालेज, बंगवासी कालेज, हावड़ा का महाराज स्रीशचंद्र कालेज और मेदिनीपुर का मेदिनीपुर कालेज शामिल हैं।