भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित राज्य बनाने और अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के विरुद्ध दाख़िल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार के फ़ैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार से चार हफ़्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है और अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी।
5-judge SC bench to begin hearing petitions challenging Article 370 on Tuesdayhttps://t.co/ysUJdSzMfa#SupremeCourt
— Zee News English (@ZeeNewsEnglish) October 1, 2019
इस मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने अनुच्छेद 370 के निरस्त्रीकरण को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बैच को अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।
ज्ञात रहे कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के फ़ैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए शनिवार को एक संविधान पीठ गठित की थी।
#SupremeCourt on Tuesday granted four weeks time to the Centre to file its response in the batch of petitions and one week to the petitioners to file their responses after the government's reply. #JammuAndKashmir https://t.co/iPIAtk37Tk
— Firstpost (@firstpost) October 1, 2019
पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू कश्मीर में किये गये संवैधानिक बदलावों के बाद पैदा हुए मुद्दों से संबद्ध अन्य याचिकाओं पर विचार करते हुए सोमवार को कहा कि इस तरह के सभी मामलों पर न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ अब निर्णय करेगी।
As the reading-down of Article 370 is challenged in the Supreme Court by a constitution bench today, a look back at A.G. Noorani's comprehensive analysis of its constitutional validity. https://t.co/DewrhLpdEn
— The Wire (@thewire_in) October 1, 2019
सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि उसने घाटी में नाबालिगों की अवैध हिरासत के बारे में जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति से एक रिपोर्ट प्राप्त की है।
न्यायालय ने एक चिकित्सक द्वारा दायर एक अलग याचिका भी तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेज दी। चिकित्सक ने जम्मू कश्मीर में पाबंदियों के चलते कश्मीर में मेडिकल सुविधाओं की कमी होने का दावा किया है।
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के पांच अगस्त के फ़ैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई हैं।