सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। समाचार एजेंसी एएनआइ ने इसकी जानकारी दी है।
वहीं मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की खंडपीठ ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को लागू करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि वह जनवरी में याचिका पर सुनवाई करेगा।
Supreme Court issues notice to Center on all 59 petitions on amended citizenship law#CAAProtest LIVE updates: https://t.co/xhHRGed24H pic.twitter.com/b49Y25DnTg
— IndiaToday (@IndiaToday) December 18, 2019
जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली 59 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के लिए लगी थी।याचिका दाखिल करने वालों में सांसद जयराम रमेश, महुआ मोइत्रा और असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों, हिंसा और फिर पुलिस कार्रवाई के मामले में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि हम इन याचिकाओं को क्यों सुनें।
आप लोग हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते?’ इतना ही नहीं कोर्ट ने छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने का भी कोई आदेश नहीं दिया और न ही मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटनाएं अलग अलग जगहों की हैं ऐसे में एक जांच कमेटी गठित करना ठीक नहीं रहेगा। याचिकाकर्ता संबंधित हाई कोर्ट जाएं और हाई कोर्ट पक्षकारों और सरकार को सुनकर जांच कमेटी गठित करने के बारे में उचित आदेश दे सकते हैं।
ये आदेश प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में पुलिस कार्रवाई का मामला उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिए।
इससे पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंद्रा जयसिंह और कोलिन गोंसाल्विस ने कोर्ट से कहा कि इस मामले के दो मुख्य बिंदु हैं।
पहला यह की पुलिस विश्वविद्यालय अथॉरिटी की इजाजत के बगैर विश्वविद्यालय में घुसी और फिर उसने छात्रों पर हिंसक कार्रवाई की। छात्रों के खिलाफ केस दर्ज हुए हैं, उन्हें गिरफ्तार किया गया। दूसरी बात कि घायल छात्रों को चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।
जयसिंह ने कहा कि नियम के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन की इजाजत के बगैर पुलिस अंदर नहीं घुस सकती। सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं के आरोपों का खंडन किया।
मेहता ने कहा कि किसी भी छात्र को गिरफ्तार नहीं किया गया है। एएमयू के दो छात्र घायल हुए हैं जिनका वहीं के अस्पताल में इलाज चल रहा है। जो छात्र घायल हुए हैं उन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।