सुरेश चव्हाणके का विवादित विडियो वायरल, आईपीएस एसोसिएशन ने नफरत फैलाने वाला बताया

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कथित तौर पर इसलामोफोबिया और नफ़रत फैलाने वाली ख़बरें प्रकाशित करने के आरोप झेलते रहे सुदर्शन न्यूज़ और इसके एडिटर इन चीफ़ सुरेश चव्हाणके फिर से एक ऐसी ही ख़बर के लिए चर्चा में हैं। सुरेश चव्हाणके ने एक दिन पहले सिविल सेवा में मुसलिम समुदाय के लोगों के जाने पर निशाना साधते हुए एक प्रोमोशनल वीडियो पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि वह सुदर्शन न्यूज़ पर ‘कार्यपालिका में मुसलिम घुसपैठ’ को 28 अगस्त से ‘पर्दाफ़ाश’ करेंगे। इस पोस्ट में उन्होंने मुसलिमों के लिए ‘नौकरशाही जिहाद’ और ‘UPSC Jihad’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। सुरेश चव्हाणके की पोस्ट और कार्यक्रम को सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर आईपीएस एसोसिएशन तक ने नफ़रत फैलाने वाला क़रार दिया है। दिल्ली पुलिस में तो इसकी शिकायत दी ही गई है, यूपीएससी के अध्यक्ष को पत्र लिखकर सख़्त कार्रवाई करने की माँग भी की गई है।

वैसे, नफ़रत फैलाने के मामले में 2017 में सुरेश चव्हाणके गिरफ़्तार भी हो चुके हैं। तब चव्हाणके ने संभल के एक धार्मिक स्थल पर जाकर जल चढ़ाने का एलान किया था। यूपी पुलिस ने चव्हाणके को समुदायों के बीच नफरत फैलाने, सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और चैनल के ज़रिए अफवाह फैलाने के आरोप में 13 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। वह 14 अप्रैल को रिहा हो गए थे। तब यह पहली बार हुआ था कि किसी चैनल के एडिटर इन चीफ़ को सांप्रदायिकता के आरोप में गिरफ़्तार किया गया हो।

बहरहाल, ताज़ा विवाद में भी सुरेश चव्हाणके पर नफ़रत फैलाने के ही चौतरफ़ा आरोप लग रहे हैं। इस मामले में पुलिस से शिकायत तो की ही गई है, इसके साथ ही ट्विटर पर नफ़रत वाली भाषा के ख़िलाफ़ अभियान भी शुरू कर दिया गया है। बड़ी संख्या में आईएएस और आईपीएस अधिकारी खुलकर लिख और बोल रहे हैं। अधिकतर लोगों ने सुरेश चव्हाणके की भाषा को सांप्रदायिक नफ़रत का जहर उगलने वाला क़रार दिया है।

आईपीएस एसोसिएशन ने सुरेश चव्हाणके के उस वीडियो को सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने वाला बताया है। इसने ट्वीट किया, ‘धर्म के आधार पर सिविल सेवाओं में उम्मीदवारों को निशाना बनाने वाली एक समाचार को सुदर्शन टीवी द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।

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