समाजिक बहिष्कार के बाद तबलीगी जमात के सदस्य ने किया आत्महत्या!

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प्रदेश के ऊना जिले में रविवार सुबह एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली जिसकी शिनाख्त दिलशाद मुहम्मद के रूप में हुई। उसनेसामाजिक बहिष्कार से दुखी होकर यह कदम उठाया है।

 

भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, दिलशाद ने बंगागढ़ गाँव की पहाड़ी पर स्थित अपने घर की छत से खुद को लटका लिया। ऊना में युवक को कोरोना वायरस संदिग्ध माना जा रहा था। युवक को क्वारंटाइन में भी रखा था। युवक की कोरोना रिपोर्ट भी नेगेटिव आई।

 

जब युवक अपने गांव गया तो उसे सोशल बायोकोटिंग का सामना करना पड़ा। पुलिस प्रभारी राकेश कुमार ने कहा कि दिलशाद को पुलिस ने 2 अप्रैल को ऊना के एक क्षेत्रीय अस्पताल में ले जाया था वह तबलीगी जमात के मंडली में शामिल होने वाले दो व्यक्तियों के संपर्क में आया था।

 

जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना का टेस्ट करवाया गया था जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद युवक को शनिवार को एंबुलेंस में अपने घर पर छोड़ कर होम क्वारंटीन किया गया था।

 

मुहम्मद गुज्जर समुदाय से था और डेयरी फार्मिंग से जुड़े थे। उनका परिवार बांगड़ गाँव का था, जहाँ अधिकांश गुर्जर समुदाय पंजाब के आसपास के इलाकों और ऊना जिले में दूध बेचने में शामिल थे।

 

 

उनके घर के बाहर चित्रित बोर्ड के अनुसार, उनके परिवार को हिमाचल सरकार द्वारा बीपीएल परिवार के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। मुहम्मद की मां उषा देवी ने कहा कि कुछ ग्रामीणों ने उनके बेटे का अपमान किया था। इस अपमान से परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली।

 

उषा देवी ने बताया कि वह रविवार सुबह परिवार के सभी सदस्यों से मिलीं, नमाज अदा की और फिर एक कमरे के अंदर चली गईं। जब वह काफी देर तक बाहर नहीं आया तो परिवार के सदस्यों ने दरवाजा खोला और उसे लटका पाया। मुहम्मद की पत्नी, अमरदीप ने भी अपने पति का अपमान करने के लिए ग्रामीणों को दोषी ठहराया।

 

गांव वालों उनके परिवार से दूध लेना भी बंद कर दिया था। अमरदीप ने कहा कि दूध बेचना परिवार की आय का एकमात्र स्रोत था।

 

उन्होंने कहा कि उनके पति कभी दिल्ली नहीं गए और घर पर ही रहे लेकिन फिर भी उन्हें परेशान किया गया। पुलिस प्रभारी राकेश कुमार ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम करने के बाद मामला दर्ज किया जाएगा।