चाय बेचने वाले की बेटी बनी लड़ाकू विमान की पायलट!

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मध्य प्रदेश के नीमच में चाय की छोटी-सी दुकान चलाने वाले की 26 वर्षीय बेटी आंचल गंगवाल वायुसेना में लड़ाकू विमान की पायलट बन गई हैं।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, हैदराबाद में आयोजित दीक्षा समारोह में आंचल का सम्मान हुआ।

 

आंचल समेत अन्य प्रशिक्षणार्थियों को एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने देश सेवा के लिए समर्पित किया। बेटी की इस उपलब्धि से पिता सहित स्वजनों में खुशी है।

 

नीमच के बस स्टैंड पर आंचल के पिता सुरेश गंगवाल छोटी-सी चाय की दुकान चलाते हैं। आंचल ने एयर फोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट में वर्ष 2018 में सफलता हासिल की थी।

 

https://youtu.be/T5oaJhUxzgc

 

जून 2018 में वह लड़ाकू विमान के पायलट के प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद रवाना हुई थीं। पिता ने चाय की दुकान चलाने के बावजूद बेटी के सपनों को उड़ान दी।

 

आंचल के परिवार में पिता के अलावा मां बबिता, भाई चंद्रेश (इंदौर में इलेक्टि्रकल इंजीनियर) व बहन दिव्यानी (वॉलीबॉल खिलाड़ी) हैं। गंगवाल परिवार मूल रूप से नीमच जिले के जावद विकासखंड के गांव तारापुर-उम्मेदपुरा का रहने वाला है।

 

केदारनाथ फल्ड से ली प्रेरणा 

आंचल को वायुसेना में जाने की प्रेरणा 2013 की एक घटना से मिली। आंचल ने बताया कि 2013 में उत्तराखंड में विनाशकारी बाढ़ आई थी।

 

इस दौरान भारतीय वायुसेना ने बचाव अभियान को बखूबी अंजाम दिया था। इस कार्य को टीवी पर देखकर ही उन्हें वायु सेना में जाने की प्रेरणा मिली। उस समय आंचल 12वीं कक्षा में अध्ययनरत थीं।

पुलिस विभाग में उप-निरीक्षक के रूप में चयनित हुई। धार के बाद सागर प्रशिक्षण पर गई। इस पद से अगस्त 2017 में त्यागपत्र दे दिया।

 

आंचल का चयन श्रम निरीक्षक के रूप में हुआ। वह मंदसौर में बतौर श्रम निरीक्षक कई महीनों तक पदस्थ रहीं। एयर फोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट में सफलता हासिल की। चयनित होने वाली मप्र की एकमात्र युवती थीं।

 

30 जून 2018 से हैदराबाद एयर फोर्स एकेडमी पर प्रशिक्षण की शुरुआत हुई। 20 जून 2020 को प्रशिक्षण के बाद दीक्षा परेड हुई।

 

हौसला नहीं हारा 

मध्यप्रदेश के नीमच में चाय बेचने वाले सुरेश गंगवाल की बेटी आंचल गंगवाल जो IAF में फ्लाइंग ऑफिसर हैं उन्हें शनिवार को राष्ट्रपति पट्टिका से सम्मानित किया गया। सुरेश ने बताया कि हमारे जैसे छोटे वर्ग के लोगों को समस्याएं तो आती हैं लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी और बच्चों को भी नहीं हारने दी।

 

आंचल के पिता सुरेश गंगवाल नीमच में चाय बेचते हैं। बेटी की इस सफलता को देखने के लिए उन्हें हैदराबाद जाना था। लेकिन वह घर बैठे ऑनलाइन ही इस पूरे इवेंट को देखा है।

 

सुरेश गंगवाल ने चाय बेच कर ही अपने 3 बच्चों को पढ़ाया है। सुरेश का बड़ा बेटा इंजीनियर है। दूसरी बेटी आंचल फ्लाइंग अफसर है, तो सबसे छोटी बेटी बी कॉम कर रही है। उन्होंने बेटी की सफलता पर कहा है कि मुसीबतों से कभी घबराना नहीं चाहिए।

 

केदारनाथ त्रासदी के दौरान आंचल ने फोर्स ज्वाइन करने का फैसला किया था। उस वक्त वह 12वीं में पढ़ रही थी। आंचल शुरू से ही मेहनती थी, पहले एमपी में उसे पुलिस सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिली थी, कुछ दिन बाद वह नौकरी छोड़ दी।

 

फिर आंचल का चयन लेबर इंसपेक्टर के रूप में हुआ। लेकिन उसका मकसद फोर्स में जाना था। इसलिए आगे चलकर वह लेबर इंस्पेक्टर की नौकरी भी छोड़ दी।

 

आंचल के फिजिकल ट्रेनर किशन पाल ने बताया कि मुझे अच्छे से याद है कि इनके पिताजी ने कितनी मुश्किलों से उस बच्ची को पढ़ाया।

 

उस लड़की का सबसे मुश्किल समय तब था जब उसने मुझे बताया कि सर मेरे पास 24 दिन हैं और मुझे 9 किलो वजन कम करना है। आंचल गंगवाल ने 3 दिन तक प्रैक्टिस पीरियड में पानी तक नहीं पिया था।