हैदराबाद: तेलंगाना के आदिवासी बहुल जिले मनचेरियल तक जाने का तरीका खोजें तो पता चलता है कि वह इलाका हवाई संपर्क तो बहुत दूर की बात है, रेल मार्ग तक से भी पूरी तरह नहीं जुड़ा है. ऐसे में अगर वहां की किसी आदिवासी लड़की के हौंसलों की उड़ान उसे “कमर्शियल पायलट” बना दे तो बात हैरानी की हदों से कहीं आगे निकल जाती है.
तो हम बात कर रहे हैं इसी जिले की एक बेटी अजमेरा बॉबी की जो इस क्षेत्र की पहली आदिवासी महिला पायलट बन गई हैं. दूसरी सबसे बड़ी बात ये है की उनके इस सपने को पूरा करने के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से बड़ी वित्तीय सहायता मिली है.
हैदराबाद से लगभग 250 किलोमीटर दूर मंचेरियल जिले के दांडेपल्ली मंडल में कर्णपेट की रहने वाली बॉबी ने स्पष्ट संकेत दिए कि वह अपने लिए निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसी भी बाधा को पार करने के लिया तैयार हैं. बता दें की वह लामबाड़ा समुदाय से आती हैं जो तेलंगाना में अनुसूचित जनजातियों का एक प्रमुख हिस्सा है.
उन्होंने बताया की जब में स्कूल में थी तभी मेरे पिता ने पिता ने मेरे अन्दर शिक्षा की इच्छा जगाई और स्कूल में होने के बावजूद हवाई जहाज उड़ाने के सपने को मान्यता दी. बॉबी अजमिरा ने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय के महिला कॉलेज से समाजशास्त्र में पीजी की डिग्री हासिल की है जिसमें उन्हें स्वर्ण पदक से नवाज़ा गया था.
बॉबी अजमिरा ने उस्मानिया विश्वविद्यालय से बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री भी हासिल की है. इसका आलावा उन्होंने मानव संसाधन नॉर्थम्प्टन, यूके में मास्टर भी किया है. उसके बाद बॉबी अजमिरा ने इंडोनेशिया के जकार्ता से एक पायलट प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा किया.
Siasat.com से बात करते हुए बॉबी ने कहा, “मेरे माता-पिता ने मुझे और मेरे भाई को एक अच्छे अंग्रेजी माध्यम स्कूल में दाखिला लेने के लिए दांदापल्ली से मनचेरियल में भेज दिया था. दसवीं कक्षा के बाद, मेरे माता-पिता ने मुझे बीपीसी लेने के लिए कहा ताकि मैं डॉक्टर बन सकूं. हालाँकि, मैंने इंटरमीडिएट पूरा करने के बाद हिम्मत जुटाई और अपने पिता से कहा कि मैं डॉक्टर नहीं बनना चाहती. बाद में मैंने बीए करने के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर विमेन में दाखिला लिया. ”
बॉबी ने कहा “मैं हमेशा से कुछ अलग करना चाहती थी लेकिन मुझे नहीं पता था कि मुझे क्या करना है. जब एक दिन मैं बेगमपेट हवाई अड्डे पर थी तो पहली बार पायलट बनने के बारे में सोचा जिसके बाद मेरा दृढ़ संकल्प अटूट हो गया. हालाँकि उस वक़्त तक मेरे परिवार या समुदाय में किसी ने भी पायलट बनने की कोशिश नहीं की थी.
बॉबी कहती हैं“जब मैं एमए के दूसरे सेमेस्टर में थी तो मैंने विमान के उड़ान भरने के बारे में ज्यादा से ज्यादा बार बात करना शुरू किया. मेरी बात सुनने के बाद लगातार उसी बात को दिन-रात एक ही बात कहने पर मेरे पिता ने मेरा कई बार मजाक भी उड़ाया था. वहीँ एक दिन मेरे एक मित्र ने मुझे एक एयर होस्टेस की नौकरी का एक विज्ञापन दिखाया. जिसको लेकर में इंटरव्यू के लिए निकल पड़ी और एक एयर होस्टेस के रूप में एयर इंडिया में शामिल हो गई ”
एयर होस्टेस की नौकरी करने के दौरान ही में अपने मकसद का पीछा करते हुए मैंने राजीव गांधी एविएशन अकादमी में प्रवेश ले लिया. जिसके बाद दो जगह मेरे लिए समय देना आसान नहीं था. फिर मैंने एयर होस्टेस की नौकरी को छोड़ दी और विमानन प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया. हालाँकि अभी मुश्किलें खत्म नहीं हुई थीं.
प्रशिक्षण के दौरान पैसे न होने से की वजह से भी मैं हमेशा लड़खड़ा जाती रही. लेकिन यही वह समय था जब मैंने राज्य सरकार से मदद लेने का फैसला किया और मुख्यमंत्री राव के कार्यालय में गईं जिन्होंने मेरी पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला किया. बॉबी कहती हैं , “मैं हमेशा केसीआर सर की मदद करने और उनका मार्गदर्शन करने के लिए उनकी कर्ज़दार रहूंगी”. बता दें की पायलट के रूप में अपनी शिक्षा और प्रशिक्षण पूरा करने के लिए 2015 में उन्हें 28 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिली थी.
उड़ान के अपने पहले अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, “यह बहुत रोमांचक था. जब मैं उड़ान भर रही थी तो मेरे मेरे पेट में गुदगुदी हो रही थीं ऐसा लग रहा था जैसे आसमान में लुढ़क रही हूँ . यह मेरे लिए एक वास्तविक क्षण था जिसे मैं उस दिन कभी नहीं भूल सकती. ”
बॉबी आज लोगों को परामर्श दे रही है. उन्होंने कहा “मैं फोन पर कई उम्मीदवारों को कैरियर मार्गदर्शन दे रही हूं। मैं सामाजिक रूप से हाशिए के छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक विमानन स्कूल शुरू करने की योजना भी बना रही हूं।
बॉबी दलित स्ट्राइक शक्ति (DSS), SC / ST ऑफिसर्स फोरम, दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (DICCI) के लिए सिविल एविएशन वर्टिकल हेड के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी रही हैं.
Roshan Bint Raheem, shaikzawah16@gmail.com