पहला घंटा – रोजा खोलने से पहले
इफ्फतार की शुरुआती तैयार करें और इस समय दुआ के लिए समर्पित करें क्योंकि रोजा रखने वाले व्यक्ति की दुआ कभी अस्वीकार नहीं होती है। अपने लिए, अपने प्रियजनों और पूरे उम्मत के लिए दुआ करें। दुनिया भर में पीड़ित भाइयों और बहनों के लिए दुआ करनी चाहिए और जो हमारे बीच अब नहीं रहे चाहे वो हमारे रिश्तेतार हो दोस्त य पड़ोसी हो उन्हें आपके दुआ की आवश्यकता है।
दूसरा समय – रात के आखिरी तीसरा घंटा
यह समय रात के आखिरी तीसरे स्थान पर है। इस समय बहुत सारे दुआ और माफी मांगने के के लिए समर्पित करें क्योंकि यह वो समय है जब अल्लाह तबारक व ताला कहते हैं ‘मुझे कोई पुकारे, कि मैं उसे जवाब दे सकुं? मुझसे काई मांगे, कि मैं उसे दे सकता हूं? कोई मुझसे क्षमा मांगे, कि मैं उसे क्षमा कर सकता हूं? ‘”
तीसरा घंटा – सूर्योदय तक फ़ज्र नमाज के बाद का समय
आखिरी घंटा फज्र के बाद इबादत और कुरान पढ़ने के साथ सूर्योदय तक बिताया जाना चाहिए। अल्लाह के रसुल ने कहा “जो भी जमात में फ़ज्र की नमाज अदा करता है, और तब तक अल्लाह को याद करता है जब तक सूरज उग न जाय, उसके पास हज और ‘उमरा’ का इनाम होगा। “उन्होंने कहा अल्लाह के रसुल ने कहा” पूरी तरह से, पूर्ण रूप से, पूर्ण में। ”
इस हदीश को सही अल-तिर्मिधि में अल-अल्बानी द्वारा वर्गीकृत किया गया था।