नागरिकता संशोधन विधेयक का भारत के मुसलमानों से कोई संबंध नहीं है- अमित शाह

   

नागरिकता संशोधन विधेयक पर हुई बहस पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जवाब दिया। अमित शाह ने कहा कि धर्म के आधार पर देश का विभाजन एक बड़ी भूल थी, अगर धर्म आधारित विभाजन नहीं हुआ होता तो ऐसे किसी बिल को लाने की आवश्यकता ही नहीं होती।

हरिभूमी पर छपी खबर के अनुसार, बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए ये बिल लाया गया। पिछली सरकारें समाधान लाईं होती तो ये बिल लाने की जरुरत ही नहीं पड़ती।

उन्होंने आगे कहा कि अगर यह बिल 50 साल पहले लाया जाता, तो आज स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती। हम चुनावी राजनीति अपने दम पर लड़ते हैं ये बिल 2015 में लेकर आए थे। पहले की सरकारों ने समाधान करने की कोशिश नहीं की।

हम चुनावी राजनीति अपने दम पर लड़ते हैं। देश की समस्याओं का समाधान करना हमारा काम है। सरकारों का काम है। नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी, उनके कारोबार, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी, ये वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया।

मैं पहली बार नागरिकता के अंदर संशोधन लेकर नहीं आया हूं लेकिन वहां लोगों को चुनाव लड़ने से भी रोका गया, उनकी संख्या लगातार कम होती रही है।

लेकिन यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जैसे कई उच्च पदों पर अल्पसंख्यक रहे हैं। यहां अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ है। अमित शाह ने आगे कहा कि मैं पहली बार नागरिकता के अंदर संशोधन लेकर नहीं आया हूं, कई बार हुआ है।

जब श्रीलंका के लोगों को नागरिकता दी गई थी तो उस वक्त बांग्लादेशियों को क्यों नहीं दी? जब युगांडा से लोगों को नागरिकता दी गई तो बांग्लादेश-पाकिस्तान के लोगों को क्यों नहीं दी गई?

नागरिकता संशोधन बिल की वजह से कई धर्म के प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। लेकिन विपक्ष का ध्यान सिर्फ इस बात पर कि मुस्लिम को क्यों नहीं लेकर आ रहे हैं? नागरिकता संशोधन बिल में उनके लिए व्यवस्था की गई है जो पड़ोसी देशों में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए जा रहे हैं।

जिनके लिए वहां अपनी जान बचाना, अपनी माताओं-बहनों की इज्जत बचाना मुश्किल है। ऐसे लोगों को यहां की नागरिकता उनकी परेशानियों को दूर करने की कोशिश की जा रही है। आगे कहा कि हमारे लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता हैं जबकि विपक्ष के लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता नहीं हैं।

कपिल सिब्बल कह रहे थे कि मुसलमान आपसे नहीं डरता है अमित शाह ने कहा कि आज नरेंद्र मोदी जो बिल लाए हैं, उसमें निर्भीक होकर शरणार्थी कहेंगे कि हां हम शरणार्थी हैं। हमें नागरिकता दीजिए और सरकार नागरिकता देगी। जिन्होंने जख्म दिए वही आज पूछते हैं कि ये जख्म क्यों लगे।

कपिल सिब्बल कह रहे थे कि मुसलमान आपसे नहीं डरता है। मैं भी तो यही कह रहा हूं कि भारत में रहने वाले किसी भी अल्पसंख्यक को, विशेषकर मुस्लिम भाइयों और बहनों को डरने की जरूरत नहीं है।

शाह ने आगे कहा कि जब भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने 1971 में बांग्लादेश के शरणार्थियों को स्वीकारा, तब श्रीलंका के शरणार्थियों को क्यों नहीं स्वीकारा गया? समस्याओं को उचित वक्त पर ही सुलझाया जाता है।

इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। आगे कहा कि अनुच्छेद-14 में जो समानता का अधिकार है। वो ऐसे कानून बनाने से नहीं रोकता जो रीजनेबल क्लासिफिकेशन के आधार पर हैं।

कांग्रेस पार्टी अजीब प्रकार की पार्टी है अमित शाह ने ममता बनर्जी का जिक्र करते हुए कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठ का जिक्र ममता बनर्जी ने 2005 में किया था।

अमित शाह ने कांग्रेस पर तंज सकते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी अजीब प्रकार की पार्टी है। सत्ता में होती है तो अलग-अलग भूमिका में अलग-अलग सिद्धांत होते हैं। हम तो 1950 से कहते आए हैं कि अनुच्छेद 370 नहीं होना चाहिए।

पूरा देश जानता है कि देश का बंटवारा जिन्ना और उनकी मांग की वजह से हुआ शाह ने कहा कि आनंद शर्मा कहते हैं देश का बंटवारा सावरकर के एक बयान की वजह से हुआ था। लेकिन मैं उन्हें बताने चाहूंगा कि पूरा देश जानता है कि देश का बंटवारा जिन्ना और उनकी मांग की वजह से हुआ था।

जिन्ना का जिक्र करते हु उन्होंने उनके नाम के पीछे जी लगा दिया। जिसके बाद विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। हालांकि कुछ समय के बाद सब शांत हो गए।

अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संसोधन विधेयक में मुसलमानों का कोई अधिकार नहीं जाता। ये नागरिकता देने का बिल है, नागरिकता लेने का बिल नहीं है। मैं सबसे कहना चाहता हूं कि भ्रामक प्रचार में मत आइए। इस बिल का भारत के मुसलमानों की नागरिकता से कोई संबंध नहीं है।