राहत अली ‘बांग्लादेशी’ पहचान के साथ हुए थे गिरफ्तार, तीन साल बाद जेल से ‘भारतीय’ बन कर छूटे

, ,

   

असम के राहत अली सात मई को गोलापाड़ा सेंट्रल जेल से तीन साल बाद छूटे हैं. उन पर आरोप था कि वो ‘बांग्लादेशी’ हैं. राहत आली गोलापाड़ा सेंट्रल जेल के सुप्रीटेंडेंट से वादा कर के लौटे हैं कि वह वहां के बारे में कुछ ‘बुरा’ नहीं कहेंगे. क्वासी ज्यूडिशियल फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ऐसे मामलों की सुनवाई कर रहा है. राज्य में करीब 100 ऐसे ट्रिब्यूनल हैं, जो असम पुलिस बॉर्डर विंग की ओर से संदिग्ध बांग्लादेशी घोषित किए गए हैं, उनके मामलों की सुनवाई कर रहे हैं.

अंग्रेजी अखबार The Hindu के अनुसार 60 साल पहले प्राइमरी स्कूल से पढ़ाई छोड़ने वाले राहत को ट्रिब्यूनल ने उम्र में अंतर के चलते उनकी नागरिकता पर शक किया था.

वोटर आईडी और अन्य कागज में उम्र थी अलग


राहत के वोटर आईडी कार्ड के अनुसार वह 55 साल के थे, हालांकि साल 2015 में ट्रिब्यूनल में दर्ज कराई  गई उम्र के अनुसार वह 66 साल के हैं. कई डॉक्यूमेंट्स में उनका नाम राहत अली लिखा हुआ था, तो कहीं रेहजा अली. राहत को वह तारीख भी याद नहीं है जब ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव के कारण उनके पिता मुनीरुद्दीन, नलबारी जिले से चले आए थे.

जमीन गिरवी रख कर जुटाए सात लाख रुपये

31 जुलाई तक एनआरसी को अंतिम रूप देने की उम्मीद
राहत अली को उम्मीद है कि 31 जुलाई तक एनआरसी को अंतिम रूप दे दिया जाएगा जो असम के कई लोगों पर लगे बांग्लादेशी के टैग को खत्म कर देगा. राहत अली ने कहा, ‘मेरा एनआरसी आवेदन रोक दिया गया था. मुझे उम्मीद है कि मेरे लिए, एक भारतीय से बांग्लादेशी और फिर भारतीय घोषित करने में देर हुई.’

साभार- न्यूज़ 18