मुंबई : गोधूम ग्रेन्स एंड फार्म प्रोडक्ट्स के चेयरमैन और उपभोक्ता कार्यकर्ता शिव शंकर गुप्ता द्वारा मंगलवार को दावा ने दावा किया था कि प्रतिष्ठित भारतीय नमक ब्रांडों में पोटेशियम फेरोसिनेसाइड का स्तर खतरनाक रूप से ज्यादा है, जिससे एक बड़ा विवाद हो गया है. इस मामले में गुप्ता ने अमेरिकन वेस्ट एनालिटिकल लैबोरेटरीज की विश्लेषण रिपोर्ट का हवाला दिया था. हालांकि टाटा केमिकल्स ने आरोपों को पूरी तरह से गलत और भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि इसके ब्रांडों में पोटेशियम फेरोसिनेसाइड सीमा के भीतर है. इसमें कहा गया है कि आयोडीन एक और आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है जिसकी मानव शरीर को प्रतिदिन कम मात्रा में आवश्यकता होती है और आयोडीन की कमी के विकार (IDD) के मुद्दे को दूर करने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है.
टाटा नमक बाने वाली टाटा केमिकल्स आश्वासन दिया कि उसका नमक पूरी तरह से सुरक्षित है और इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है. कंपनी ने कहा कि भारत भी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में से है, जिसने नमक में पोटेशियम फेरोसाइनाइड के उपयोग की अनुमति दी है. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा दी गई अनुमति का स्तर 10 mg / kg से कम है, और Codex Alimentarius – खाद्य सुरक्षा पर एक आधिकारिक दिशानिर्देश – 14 मिलीग्राम / किलो के स्तर पर खपत के लिए पोटेशियम फेरोसिनेसाइड को सुरक्षित घोषित किया है.
उन्होंने दावा किया कि “आरटीआई से पता चलता है कि एफएसएसएआई के साथ परीक्षण या लाइसेंस के लिए किसी भी बड़े नमक निर्माता ने आवेदन नहीं किया है, इसके अलावा, यह मापने के लिए देश में खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को सुसज्जित नहीं किया गया है। ।