क्या जेडीयू तीन तलाक़ बिल को राज्यसभा में पास होने से रोक पायेगी?

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मोदी सरकार के लिए आज का दिन बेहद खास है। सरकार आज ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में पेश करने जा रही है। बहुमत कम होने के कारण सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती इसे पास कराने की होगी।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, ट्रिपल तलाक बिल को पास कराने के लिए बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया है, साथ ही सरकार फ्लोर मैनेजमेंट में भी जुटी है। ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’ को आज कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद राज्यसभा में पेश करेंगे।

वहीं राज्यसभा में कमजोर आंकड़े ने सरकार की पेशानी बढ़ा दी है। ऐसे में सवाल है कि क्या सरकार इस बिल को राज्यसभा में पास करवा पाएगी। बीजेपी ने इसके लिए पूरजोर तैयारी की है जिसके तहत पार्टी ने सभी सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया है।

इस दौरान सदन में सांसदों की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है और सांसदों को सरकार के बिल को समर्थन देने की बात कही गई है।

विपक्ष को पता है कि राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में वो बिल को रोककर सरकार को आईना दिखाने की कोशिश में जुटी है। वहीं दूसरी ओर बीजेपी इस बिल को पास कराने के लिए फ्लोर मैनेजमेंट पर खास जोर दे रही है।

विपक्ष को लगता है कि बहुमत में कमी के कारण बिल अटक सकता है। आंकड़ों पर गौर करें तो राज्यसभा में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास करीब 99 सीट है वहीं कांग्रेस समेत बिल का विरोध करने वाले दलों के सदस्यों की संख्या 108 है।

ऐसे में नजरें अन्य दलों पर टिकी हैं जिनकी संख्या 34 है, जबकि चार सीट अभी खाली है। ऐसे में बहुमत के लिए हर हाल में 121 सदस्यों का समर्थन चाहिए। खास बात ये है कि इस बिल के विरोध में एनडीए की सहयोगी जेडीयू भी है।

राज्यसभा में जेडीयू के 6 सदस्य हैं। बता दें कि लोकसभा में बीते 25 जुलाई को तीन तलाक को अपराध बनाने वाला बिल चर्चा कर पास कर दिया गया था। कांग्रेस, डीएमके, एनसीपी समेत कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया था जबकि टीएमसी और सरकार की सहयोगी जेडीयू ने वोटिंग से पहले सदन से वॉक आउट कर दिया था।

गौरतलब है कि यह बिल पिछली लोकसभा से पास हो चुका था लेकिन राज्यसभा से इस बिल को वापस कर दिया गया था। 16वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद इस लोकसभा में सरकार कुछ बदलावों के साथ फिर से बिल को लेकर आई है। ऐसे में अब इस बिल को राज्यसभा से पारित कराने की चुनौती सरकार के सामने है।