क्या तीन-तलाक़ बिल पास करवाना हुआ आसान?

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टीडीपी के 4 सांसदों ने पाला बदल उच्च सदन में विपक्ष की रणनीति को बड़ा झटका दिया है। इस पालाबदल के बाद भी भाजपा और उसकी अगुवाई वाला राजग भले ही बहुमत से दूर है, मगर पार्टी अहम बिलों को पारित कराने के लिए जरूरी अंकगणित के बेहद करीब पहुंच गई है।

हालांकि तीन तलाक, नागरिकता संशोधन जैसे अहम बिलों को पारित कराने केलिए पार्टी को बीजेडी वाईएसआर कांग्रेस और टीआरएस जैसे दलों को साधना होगा। गौरतलब है कि उच्च सदन में बहुमत के अभाव में भाजपा अपने दर्जन भर अहम बिलों को कानूनी जामा नहीं पहना पाई थी।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, राज्यसभा की वर्तमान स्थिति की बात करें इस समय भाजपा के सदस्यों की संख्या 75 तो राजग के सदस्यों की संख्या 105 है। अमर सिंह और सुभाष चंद्रा जैसे निर्दलीय सदस्यों के सहारे यह संख्या 107 पहुंच जाती है।

ऐसे में अगर भाजपा टीआरएस (6), बीजेडी (5) और वाईएसआर कांग्रेस (2) को साधने में कामयाब रही तो यह संख्या 120 पहुंच जाएगी।

इस समय उच्च सदन में 9 सीटें खाली हैं। ऐसे में बिल पारित कराने के लिए भाजपा को 119 सदस्यों का समर्थन ही चाहिए। इस सत्र के जारी रहते ही छह सीटों पर चुनाव होंगे, जिसमें तीन पर भाजपा का जीतना तय है।

बिल पारित कराने केलिए सदन में मौजूद सदस्यों में से 50 फीसदी से एक ज्यादा का समर्थन चाहिए। ऐसे में पार्टी अगर टीआरएस, बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस को साध पाई तो उसका अपने एजेंडे से जुड़े बिलों को कानूनी जामा सपना पूरा हो जाएगा।

मसलन नागरिकता संशोधन बिल पर टीआरएस, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस जैसे दलों को बड़ी आपत्ति नहीं है। इसी प्रकार तीन तलाक बिल पर एनपीएफ, बीपीएफ जैसे पूर्वोत्तर केदलों को दिलचस्पी नहीं है।

ऐसे में पार्टी इस बिल पर जदयू को अनुपस्थित रहने के लिए मना कर और बीजेडी, टीआरएस जैसे दलों की कुछ आपत्तियों का हल निकाल कर अपना काम निकाल सकती है।