तीन-तलाक़ को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित!

,

   

हाईकोर्ट ने तीन तलाक कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 18 अक्तूबर तक स्थगित कर दी है। तीन तलाक कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के दो दिन बाद ही वकील शाहिद अली ने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने याचिकाकर्ता की दलीलें कुछ देर सुनने के बाद कहा कि अब वे 18 अक्टूबर को इसकी सुनवाई करेंगे। खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने कहा कि कुरान में एक साथ ही तीन तलाक देने की बात नहीं कही गई है।

कुरान के अनुसार, तीन-तीन महीने के अंतराल के बाद तलाक बोलने के बाद ही तलाक मान्य है। जब कुरान में ऐसी बात कही गई है तो सरकार को इस पर कानून बनाने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कानून में पति-पत्नी के बीच समझौता होने को लेकर कोई धारा नहीं बनाई गई है। इस तरह से तीन तलाक पर बना कानून असंवैधानिक है। इसलिए उसे निरस्त कर दिया जाए।

याची का कहना है कि इस कानून से मुस्लिम पुरुषों के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं को भी नुकसान होगा। पुरुष के जेल जाने के बाद महिला व उसके बच्चों का भरण-पोषण कौन करेगा।

कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए भी कोई प्रावधान नहीं बनाया गया है। इससे महिलाएं उक्त कानून का दुरुपयोग कर सकती हैं और बेवजह पुरुषों को परेशान कर सकती हैं।

याची ने उक्त कानून की धारा 3 व 4 को रद्द करने की मांग की है। इन धाराओं के तहत मुस्लिम पति द्वारा अपनी पत्नी को तीन तलाक कहना अपराध है।

इसके लिए तीन साल तक की जेल व जुर्माने का प्रावधान है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को पहले ही असंवैधानिक घोषित कर दिया था। अब इस पर कानून बनाने की जरूरत नहीं थी।