G -7 की बैठक में मोदी और ट्रंप कश्मीर के मुद्दे पर करेंगे चर्चा : अमेरिका

,

   

अमेरिका की ओर से गुरुवार को कहा गया कि जम्मू और कश्मीर राज्य के लिए अनुच्छेद 370 पर भारत का निर्णय एक आंतरिक मामला है, बावजूद इसके यह क्षेत्रीय निहितार्थ हैं और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प उम्मीद करते हैं कि आगामी जी -7 की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जब मिलेंगे तब इस मुद्दे पर बात होगी। जिससे क्षेत्रीय तनाव को कम किया जा सके और राज्य में मानवाधिकारों को भी बनाए रखा जा सके। समिट से पहले राष्ट्रपति ट्रंप के एजेंडे की पत्रकारों को जानकारी देने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप पाकिस्तान से नियंत्रण रेखा पर सीमा पार से होनी वाली घुसपैठ को रोकने और उसके यहां मौजूद संगठनों जिन्होंने अतीत में भारत पर हमला किया था पर रोक लगाने की भी मांग करेंगे।

अधिकारी ने कहा कि भारत-पाकिस्तान संबंधों के मुद्दे के इस सम्मेलन में सामने आने की उम्मीद है और राष्ट्रपति ट्रम्प संभवत: प्रधान मंत्री मोदी से जानना चाहेंगे कि वह क्षेत्रीय तनाव को कम करने और कश्मीर में मानवाधिकारों के लिए सम्मान को बनाए रखने की योजना क्या बनाते हैं। कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए भारत का निर्णय एक आंतरिक मामला है, लेकिन निश्चित रूप से क्षेत्रीय निहितार्थ के साथ है। राष्ट्रपति ट्रम्प से भी उम्मीद की जाती है कि वे संघर्ष से जूझ रहे सभी पक्षों के बीच बातचीत पर जोर देंगे, जिससे जल्द ही कश्मीर में वर्तमान में लगे प्रतिबंध हटाए जा सके। कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता करने की अमेरिकी नेताओं की पेशकश पर अधिकारी ने कहा कि यदि भारत और पाकिस्तान चाहते है कि राष्ट्रपति ट्रंप मध्यस्ता कराएं, तो वह इसके लिए तैयार हैं। साथ ही अधिकारी ने यह भी स्वीकार किया कि भारत ने किसी भी औपचारिक मध्यस्थता का अनुरोध नहीं किया है।

इसी साल जुलाई में पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान से मीटिंग के दौरान एक प्रेस वार्ता में राष्ट्रपति ट्रम्प ने पहली बार मध्यस्थता करने की पेशकश की थी और यह भी कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यही चाहते हैं। भारत ने इसका का खंडन किया और मध्यस्थता प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कश्मीर विवाद केवल भारत और पाकिस्तान द्वारा द्विपक्षीय रूप से हल किया जा सकता है। ट्रम्प ने तब से दो बार मध्यस्थता की पेशकश की है। लेकिन वरिष्ठ अधिकारी ने अब इस बार इसे “सहायता” की पेशकश के रूप में वर्णित किया है।