उन्होंने कहा कि डॉ खान एक और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है जिसमें उन पर अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार, कर्तव्यपालन में घोर लापरवाही करने का आरोप लगाया गया है
उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने कहा है कि डॉ कफील पर विभागीय कार्यवाई के अंतर्गत जांच अभी चल रही है। वो गलत प्रचार कर क्लीनचिट की बात कह रहे हैं। सरकार ने अभी उन्हें कोई क्लीनचिट नहीं दी है।
Life is tough @fayedsouza mam
Just pray I could handle the pressure n shouldn't break 😌 https://t.co/KGQLUyyCyQ— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) October 3, 2019
डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने कहा कि गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी से 70 बच्चों की मौत होने के मामले में डॉक्टर कफील खान को क्लीनचिट नहीं मिली है।
#Breaking | No clean chit to Dr Kafeel Khan by UP Government. UP Govt accuses Dr. Khan of spreading misinformation about the investigation report in the media. New departmental inquiry initiated against Dr Khan. pic.twitter.com/G5bChbj0HT
— TIMES NOW (@TimesNow) October 3, 2019
अभी किसी भी विभागीय कार्रवाई में अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. प्रमुख सचिव ने कहा कि डॉ खान जिन बिंदुओं पर क्लीनचिट मिलने का दावा कर रहे हैं, उन बिंदुओं पर जांच अभी पूरी भी नहीं हुई है। इसलिए क्लीनचिट की बात बेमानी है। उन्होंने कहा कि डॉ खान द्वारा मीडिया और सोशल मीडिया पर जांच रिपोर्ट के निष्कर्षो की भ्रामक व्याख्या करते हुए खबरें प्रकाशित कराई जा रही हैं।
प्रमुख सचिव ने कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में घटित घटना में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के बाद डॉ खान के विरुद्ध चार मामलों में विभागीय कार्यवाही शुरू की गई थी।
Days after an internal inquiry absolved Dr. Kafeel Khan of the major charges against him in the 2017 BRD hospital tragedy, the Uttar Pradesh government asserted that Dr. Khan had not been given a clean chit as yethttps://t.co/QXypjIs2BT
— The Hindu (@the_hindu) October 4, 2019
उनके विरुद्ध सरकारी सेवा में सीनियर रेजीडेंट व नियमित प्रवक्ता के सरकारी पद पर रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने व निजी नर्सिंग होम चलाने के आरोप साबित हो गए।
Gorakhpur deaths: UP government registers new charges against Dr Kafeel Khan https://t.co/7yfR6wiDg5
— Scroll.in (@scroll_in) October 4, 2019
दुबे ने बताया कि बीआरडी के बाल रोग विभाग के प्रवक्ता पद पर काम करने के बाद भी उनके अनाधिकृत रूप से निजी प्रैक्टिस करे तथा मेडिस्प्रिंग हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से जुड़े होने की पुष्टि हुई है और उन पर निर्णय लिए जाने की कार्यवाही चल रही है। उन पर लगे दो अन्य आरोपों पर अभी शासन द्वारा अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
No clean chit to Dr. Kafeel Khan. @myogiadityanath government in UP orders a fresh probe into the issue.
TIMES NOW’s Amir Haque with more details. Listen in. pic.twitter.com/Wtdm1DymTr
— TIMES NOW (@TimesNow) October 4, 2019
रजनीश दुबे ने बताया कि बच्चों की मौत के मामले में तत्कालीन प्राचार्य डॉ़ राजीव कुमार मिश्रा, एनेस्थीसिया विभाग के सतीश कुमार और बाल रोग विभाग के तत्कालीन प्रवक्ता डॉ कफील अहमद को निलंबित किया गया था। प्रमुख सचिव ने कहा कि डॉ खान का खुद को निर्दोष करार दिए जाने का प्रचार करना गलत है।
उन्होंने कहा कि डॉ खान एक और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है जिसमें उन पर अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार, कर्तव्यपालन में घोर लापरवाही करने का आरोप लगाया गया है।
इसकी जांच के लिए प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण) को जांच अधिकारी बनाया गया है। इस प्रकार उन पर कुल 7 आरोप अभी प्रक्रियाधीन है।
70 बच्चों की मौत के मामले में आरोपी डॉ कफील खान को चार मामलों में से सिर्फ एक में ही क्लीनचिट मिली है। उनके बारे में यह बात निराधार साबित हुई है कि घटना के वक्त 100 बेड वाले एईएस वार्ड के नोडल प्रभारी वह थे।
विभागीय जांच के लिए तत्कालीन प्रमुख सचिव (स्टाम्प) हिमांशु कुमार को जांच अधिकारी बनाया गया था। लंबे समय से चल रही जांच के बाद लगभग एक महीने पहले ही शासन को रिपोर्ट सौंपी गई थी।